बेगूसराय में जदयू और राजद संरक्षित सामंती-अपराधियों ने की माले नेता की हत्या.

घटना के पीछे भूमि विवाद. 20 अप्रील को राज्यव्यापी प्रतिवाद

पटना 17 अप्रैल 2016

15 अप्रील की रात बेगूसराय जिले के चेरिया बरियारपुर के सकरवासा गांव में माले के 65 वर्षीय वरिष्ठ महादलित नेता काॅ. रामेश्वर पासवान उर्फ गारो पासवान की हत्या स्थानीय जदयू विधायक मंजू वर्मा और राजद संरक्षित सामंती-अपराधियों द्वारा की गयी है. कुछ दिन पहले ही इसी जिले के बलिया प्रखंड के मकसुदनपुर में पार्टी के दो युवा नेता महेश राम व रामप्रवेश राम की हत्या भाजपा संरक्षित अपराधियों ने बर्बर तरीके से कर दी थी. दोनों हत्याकांडों के मूल में जमीन का सवाल है. माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि गारो पासवान की हत्या मकसुदनपुर की घटना की ही निरंतरता में है. न्याय के साथ विकास का वादा करने वाली सरकार इन घटनाओं पर मूकदर्शक बनी बैठी है. महादलितों को कहीं जमीन तो नहीं ही मिली, उलटे उन्हें सामंती ताकतों के दमन-उत्पीड़न का लगातार शिकार होना पड़ रहा है. नीतीश सरकार का यह रवैया बेहद निंदनीय है.

काॅ. रामेश्वर पासवान की हत्या रात में सोते वक्त कर दी गयी. घटनास्थल का दौरा करके लौटे माले नेता चंद्रदेव वर्मा ने बताया कि काॅ. पासवान नीम के पेड़ के नीचे बेंच पर सोये हुए थे. करीब 1 बजे रात में मोटरसाइकल से तीन लोगों ने टोले का चक्कर लगाना शुरू किया और फिर काॅ. पासवान को 5 गोली मारी. 9 एमएम की गोली से घटनास्थल पर ही उनकी मृत्यु हो गयी. इस बर्बर हत्याकांड के खिलाफ 20 अप्रील को बेगूसराय डीएम के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया जाएगा और उसी दिन पूरे राज्य में प्रतिरोध दिवस मनाया जाएगा.

माले नेता ने बताया कि घटना की जड़ में भूमि का सवाल है. उसी गांव की सावित्री देवी की करीब 106 एकड़ जमीन ( जिसे सीलिंग की जमीन घोषित किया गया था) 1990-91 में 85 पर्चाधारियों के बीच वितरित किया गया. लेकिन वास्तविक अर्थों में उसपर गरीबों का कब्जा नहीं था. इस बीच भूस्वामियों ने 20 एकड़ जमीन बेच दी. सन 2000 में तत्कालीन डीएम के पी रमैया ( जो बाद में अनुसूचित जाति के अध्यक्ष बने) ने भूस्वामियों द्वारा जमीन का फर्जी कागज दिखलाए जाने पर सीलिंग ही खारिज कर दी. लेकिन पर्चा खारिज नहीं हो सका और पर्चाधारी लगान देते रहे. बाद में उस गांव के सभी गरीबों का जुड़ाव भाकपा-माले से हो गया.

2009 के अंत में उस जमीन पर कब्जे की लड़ाई आरंभ हुई. 2010 के अंत में गरीबों ने तत्कालीन डीएम जितेन्द्र श्रीवास्तव के समक्ष तीन दिवसीय धरना दिया. गरीबों के जुझारू आंदोलनों के दबाव में डीएम ने पूर्व डीएम के आदेश को निरस्त कर दिया. उसके बाद गरीबों ने 86 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया और फिर उस पर खेती भी करने लगे. पूर्व डीएम के फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में मुकदमा भी चल रहा है.

सावित्री देवी का बेटा अशोक सिंह, जिसका राजद के साथ जुड़ाव रहा है, के साथ गरीबों की टकराहटें होते रही हैं और वह इस जमीन से गरीबों केा बेदखल करके फिर से कब्जा जमा लेना चाहता है. उसे स्थानीय जदयू विधायक मंजू वर्मा का भी संरक्षण हासिल है.

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