आज का बिहार

आज का बिहार

दौ शब्द


16 नवंबर 2014 को पाटना के आर-ब्लॉक पर आयोजित राज्यस्तरीय जनसुनावाई में सर्वे की रिपोर्ट बिहार की जनता को समर्पित की गई.जनसुनाई के दौरान और उसके बाद भी कई सुझाव आए. ‘बिहार के गांव की तस्वीर’ में समयाभाव के कारण पटना जिला के गांव की रिपोर्ट नहीं जोड़ी जा सकी थी. शराब का गांवों पर असर भी हमारी जांच का विशय था, लेकिन प्रथम संस्करण में यह भी छूट गया था. तमाम चीजों को समेटते हुए पुस्तिका का दुसरा कंस्करण प्रकाशित किया जा रहा है. सर्बे की कार्यपद्धति की जानकारी भुमिका दी गई है. फिर भी कई लोगों की हाय थी कि इसकी विस्तृत जानकारी पुस्तिका में दी जानी चाहिए, बहरहाल, पारिवारिक सर्वै व गांव के संक्षिप्त परिचय के अलावा महिलाअों की समस्याअों की जानकारी के लिये महिला मोर्चे पर कार्यरत नेतृत्वकारी कामरेडों ने 7 जिलों के 72 गांवों में अलग से बैठकें कीं. साथ ही स्वयं सहायता समूह में कार्यरत महिलाओं, आंगनबाड़ी सेवाका-सहायिका, मध्यह्न भोजन रसोइया और आशाकर्मियों की भी कई बैठकें की गई. हसी तरह छात्र-नौजवान मोर्चे पर कार्यरत साथियों ने नौजवानों की समस्या व उनकी सोच की जानकारी के लिए 9 जिलों में 55 युवा संवाद आयोजित किए. उपरोक्त तमाम जांच से प्राप्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए पार्टी के नेतृत्बकारी कामरेडों ने 4 जिलों के 13 गांवों की समग्र जांच भी की ताकि ग्रामीण समाज समझ आए सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन, उभर रहे नए वर्ग-तबकों व अंतर्पिरोधों की एक समग्र समझ हासिल हो सके. गांव की जांच के बाद पूरे राज्य में 500 से ज्यादा पंचायतस्तरीय जनसुनावाई आयोजित की गई धीं और लोगों से सुझाव मांगे गए थे. राज्यस्तर पर जांच कमोबेश पूरा हो जाने के बाद प्राप्त रिपोर्ट पर विचार-विमर्श के लिए नेतृत्बकारी कामरेडों की एक दो दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला मुजफ्फरपुर में आयोजित की गई थी. उपरोक्त तमाम प्रयासों से प्राप्त सुझाव, तथ्यों व जानकारी के आधार पर प्रथम संस्करण निकाला गया था. ग्रामीण व शहरी गरीबों से जुड़े कई और महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, लेकिन सबों को इसी सर्वे में समेटना संभव नहीं था. सर्बे रिपोर्ट को सुविधाजनक बनाने के लिए दुसरा संस्करण पुस्तिका की शक्ल में छापा जा रहा है.

— प्रकाशक

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