बियाडा भूमि आधिग्रहण और आवंटन घोटाला

Bhumi

नोयडा भूमि आधिग्रहण विवाद में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पनी


“निर्णय करने के पहले हम इस बात को फिर कहना आवश्यक समझते हैं कि भूमि आधिग्रहण एक गंभीर मामला है और 1894 के कानून तथा उसी तरह के आन्य कानूनों के अंतर्गत कार्यवाही शुरू करने के पहले संबंधित सरकार को गंभीरता से विचार करना होगा कि किसानों को उसकी मिल्कियत से वंचित करने का क्या परिणाम होगा. यह याद रखना होगा कि भूमि, देश के ग्रामीण इलाकों में बसने वाले लोगों की ठीक मां के समान है. यह किसान व उसके परिवार के आहार और जीविका का एकमात्र स्रोत है. अगर भूमि का आधिग्रहण कर लिया जाता है तो किसान के न केवल वर्तमान, बल्कि भविष्य की पीढ़ियां भी अपनी जीविका व एकमात्र सामाजिक सुरक्षा से वंचित हो जाते हैं. वे भूमिहीन हो जाते हैं और शहरी इलाके की झोपड़पट्टियों में वसने को मजबुर हो जाते हैं, क्योंकि उनके बास जीविका की गारंटी करने के लिए कोई वैकल्पिक उपाय नहीं है. उपजाक्त व खेती योग्य भूमि का विवेकारहित अंधाधुँध अघिग्रहण देश को गंभीर खाद्य संकट की ओर भी ले जा सकता है.”

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