मैं नास्तिक क्यों हूं ?

Nastik

नौजवानों के क्रांतिकारी मानस के प्रकाश-स्तंभ भगत सिंह


भगत सिंह मात्र 18 बर्ष की उम्र में 1925 में लाहौर में गठित नौजवान भारत सभा के महासचिव बने और 23 मार्च 1931 में करीब दो बर्ष जेल में गुजारने के बाद अपने साथियों राजगुरू और खुखदेव के साथ फांसी के तख्ते पर चढ़ा दिए गए मृत्यु के समय वे सिर्फ 23 बर्ष के थे. इस छोटे से कार्यकाल में और इतनी कम उम्र में राष्ट्रीय स्तर पर क्रांतिकारी गतिविधियां संगठित करने के साथ-साथ उन्होंने तमाम बिषयों पर इतना कुछ पढ़ा व लिखा कि सोच कर अचंभा होता है.

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