भाकपा(माले) की राज्य कमेटी की बैठक में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पुरुषोत्तम शर्मा तथा इंद्रेश मैखुरी का नाम तय

भाकपा(माले) की राज्य कमेटी की गोपेश्वर में चल रही दो दिवसीय बैठक के मौके पर आयोजित प्रेस वार्ता में भाकपा(माले) ने राज्य के जन सरोकारों के मुद्दों को उठाते हुए आगामी विधान सभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति घोषित करते हुए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की। पार्टी के राज्य सचिव कॉमरेड राजेन्द्र प्रथोली ने कहा कि, “भाकपा(माले) आगामी विधानसभा चुनाव अन्य वामपंथी पार्टियों के साथ मिल कर लड़ेगी। इस दिशा में बातचीत जारी है। प्राथमिक रूप से भाकपा(माले) दो विधानसभा क्षेत्रों-लाल कुआँ में कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा और कर्णप्रयाग में इन्द्रेश मैखुरी को अपना प्रत्याशी घोषित करती है। शेष प्रत्याशियों की घोषणा अन्य वामपंथी पार्टियों के साथ चर्चा के पश्चात की जायेगी।”

वार्ता को सम्बोधित करते हुए कॉमरेड प्रथोली ने कहा कि, “उत्तराखंड में सत्तासीन हरीश रावत सरकार माफियायों की संरक्षक सरकार है। जिसका पूरा ध्यान शराब, खनन जैसे मामलों पर ही है। प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है। कुछ दिन पूर्व बागेश्वर में दलित युवक सोहन राम की हत्या हो गयी। कल ही रुद्रपुर में एक युवती के साथ बलात्कार की घटना सामने आई है। इससे पहले रुद्रपुर में ही मजदूरों के हकों के लिए संघर्षरत ट्रेड यूनियन नेता और एक्टू के प्रदेश महामंत्री कामरेड के.के.बोरा पर अपराधी तत्वों ने जानलेवा हमला किया। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि उत्तराखंड में विधानसभा में विपक्ष सिरे से गायब है। जनता के मुद्दे केंद्र में आयें – इसके लिए जनपक्षीय संघर्षशील विपक्ष के निर्माण की जरुरत है। प्रदेश में वामपंथी पार्टियाँ मिल कर जनपक्षीय विपक्ष के निर्माण के लिए प्रयास तेज करेंगी।“

कॉमरेड प्रथोली ने आगे कहा कि, “केदारनाथ में 2013 की आपदा में मृत लोगों के कंकाल मिलना दर्शाता है कि आपदा राहत के कार्य में किस कदर आपराधिक लापरवाही बरती गई। इस आपराधिक लापरवाही में कांग्रेस-भाजपा दोनों की संलिप्तता है। विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री रहते हुए ही आपदा में मारे गए लोगों के शव ढूँढने की कार्यवाही बंद करने का ऐलान हुआ था। राहत और बचाव कार्यों में आपराधिक लापरवाही बरतने वाले विजय बहुगुणा को अपनी राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य बना कर भाजपा ने आपदा घोटाले में स्वयं को भागीदार बना लिया है। विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद मुख्यमंत्री बने हरीश रावत ने भी आपदा में मारे लोगों के खोजबीन की कोई कोशिश नहीं की। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में हालात जस के तस हैं पर हरीश रावत की सरकार कैलाश खेर के कार्यक्रम पर करोड़ों रूपया लुटवा रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि, “हरीश रावत के राज में भ्रष्टाचार अपने चरम पर पहुँच गया है। दागी अधिकारियों को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है। मुख्य सचिव के विरोध के बावजूद मुख्य मंत्री हरीश रावत ने दागदार रिकॉर्ड वाले सुमेर सिंह यादव को ऊर्जा निगम के महानिदेशक पद पर पुनः सेवा विस्तार दे दिया। विधानसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद पर बैठे गोविन्द सिंह कुंजवाल पर विधायक निधि की बंदरबांट और विधानसभा में अपने चहेतों को नियुक्त करने का आरोप लगा है। लोकसेवा आयोग की नियुक्तियों तक में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। जिससे उत्तराखंड के प्रतिभावान युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।”

प्रेस वार्ता में राज्य में चल रहे विभिन्न आंदोलनों से एकजुटता जाहिर करते हुए कहा गया कि, “एक ओर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की हड़ताल को दो महीने पूरे होने को हैं पर सरकार उनकी वाजिब मांगों की तरफ ध्यान तक नहीं दे रही है। आशा और भोजनमाताओं के मामले में सरकार ने सिर्फ कोरी घोषणा करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है। वही दूसरी तरफ बिन्दुखत्ता में चले साल भर से अधिक लम्बे आन्दोलन के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत बिन्दुखत्ता से नगरपालिका वापसी की घोषणा को मजबूर तो हुए लेकिन आज तक इस घोषणा को लागू करने के लिए वैधानिक कार्यवाही अमल में नहीं लायी गयी। साथ ही निर्दोष आन्दोलनकारियों के खिलाफ फर्जी मुकदमे भी चल रहे हैं।”

राज्य सरकार की कारपोरेट परस्ती पर कहा गया कि, “नैनिसार में जिंदल को जमीन आवंटन के खिलाफ चले आन्दोलन पर दर्ज एफ.आई.आर. उच्च न्यायालय द्वारा रद्द किये जाने की भाकपा(माले) स्वागत करती है। इस घटना ने स्पष्ट कर दिया कि हरीश रावत सरकार कारोपोरेटों को जमीन लुटवाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।”

प्रेस वार्ता में राज्य सचिव कामरेड राजेन्द्र प्रथोली, राज्य कमेटी के सदस्य और अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा, वरिष्ठ किसान नेता कामरेड बहादुर सिंह जंगी, कामरेड आनंद सिंह नेगी, एक्टू के प्रदेश महामंत्री कामरेड के.के.बोरा,  भाकपा(माले) के नैनीताल जिला सचिव कामरेड कैलाश पाण्डेय, कामरेड इन्द्रेश मैखुरी, गढ़वाल सचिव कामरेड अतुल सती, कामरेड के.पी.चंदोला, कामरेड ललित मटियाली,  कामरेड रूबी भारद्वाज आदि शामिल थे।

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