आम बजट 2015-16 पर भाकपा (माले) की प्रतिक्रिया

अरुण जेटली द्वारा पेश पहले सम्पूर्ण बजट में अमीरों के लिए तो भरपूर रियायतें दी गई हैं लेकिन टैक्स बढ़ा कर और समाज कल्याण की मदों में कटौती कर आम लोगों पर बोझ और ज्यादा बढ़ा दिया गया है। बजट में कॉरपोरेट क्षेत्र को फायदे और रियायतें तो दी जा रही हैं, लेकिन वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में भारी कमी के बावजूद इसका लाभ साधारण जन और समाज के वंचित तबकों तक नहीं दिया गया।

सम्पत्ति कर (वैल्थ टैक्स) को समाप्त कर दिया गया है, और कॉरपोरेट टैक्स को अगले चार सालों में 25 प्रतिशत तक घटाने की घोषणा भी हो गई। परन्तु एक करोड़ रुपये से ज्यादा आय वालों पर 2 प्रतिशत का सरचार्ज लगा देना सम्पत्ति कर और विरासत कर जैसी मदों की जगह नहीं ले सकता है।
एक ओर यह बजट समाजिक सुरक्षा की बात करता है, लेकिन हास्यास्पद रूप से यह भी अपेक्षा कर रहा है कि अब लोग अपनी पेंशन और बीमा जैसी चीजों की फण्डिंग भी खुद ही कर लें, यही नहीं, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, मिड डे मील, सर्व शि़क्षा अभियान जैसी योजनाओं में भारी कटौती की गई है!

काला धन रखने वालों को दण्डित करने की बातें तो बड़ी-बड़ी की गई, पर हैरानी की बात है कि जनरल एण्टी अवोइडेंन्स रूल्स (GAAR) को फिर एक बार स्थगित करके टैक्स की चोरी करने का रास्ता खुला ही रहने दिया है। योग को बढ़ावा देने के नाम पर बाबाओं के बढ़ते व्यापारिक हितों को टैक्स माफी दे दी गयी है, लेकिन सर्विस टैक्स बढ़ा कर आम जनता के खर्चे बढ़ा दिये गये हैं। टेलिफोन और इण्टरनेट के बिल बढ़ा कर सरकार ‘डिजिटल इण्डिया‘ के अपने ही नारे का मखौल बना रही है।
सरकारें इस बात की लगातार शिकायत करती रहती हैं कि समाज कल्याण की योजनाओं और कृषि एवं छोटे उद्योगों जैसे रोजगार बढ़ाने वाले क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए उनके पास धन की कमी है, वहीं कारपोरेटों को मिलने वाली छूटें और रक्षा बजट लगातार बढ़ाये जाते रहे हैं, इस बार के बजट में भी यही प्रवृत्ति जारी है।

भाकपा(माले) का मानना है कि सम्पत्ति कर को बहाल किया जाय, विरासत में मिलने वाली सम्पत्तियों पर टैक्स लगाने के लिए विरासत कर का प्रावधान बनाया जाय, सामाजिक क्षेत्रों में सरकारी खर्च में कटौतियों को वापस लिया जाय और GAAR को तत्काल लागू कर हो रही टैक्स चोरी और इकट्ठे किये जा रहे काले धन पर रोक लगायी जाय। भाकपा(माले) आम जनता और उसके हितों लिए काम कर रहे संगठनों से अपील करती है कि इस हेतु सरकार पर जनदबाव को और बढ़ाया जाय।

Prabhat Kumar
For Central Committee, CPI(ML)L

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