“प्रतिरोध दिवस” पर उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन

IMG_1600‘एक्टू’ ने ट्रेड यूनियनों के अखिल भारतीय समन्वय द्वारा श्रम सुधारों के नाम पर श्रम कानूनों में ही संशोधन करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ 5 दिसंबर के राष्ट्रव्यापी “प्रतिरोध दिवस” के आवाहन पर उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किये.
नैनीताल, रामनगर, हल्द्वानी, रुद्रपुर, लोहाघाट, अल्मोड़ा, रानीखेत, बाजपुर, काशीपुर आदि स्थानों पर धरना-प्रदर्शन आयोजित कर राष्ट्रपति से श्रम-संशोधनों को ख़ारिज करने की मांग की गयी. रुद्रपुर में संयुक्त कार्यक्रम में एक्टू के प्रदेश महामंत्री के. के. बोरा के नेतृत्व में एक्टू से जुड़ी यूनियनों ने भागीदारी की. हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में ‘एक्टू’ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजा बहुगुणा के नेतृत्व में एक्टू द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला दहन व सभा कर विरोध प्रकट किया गया.
हल्द्वानी में इस अवसर पर हुई सभा में राजा बहुगुणा ने कहा कि, ‘अच्छे दिनों का वादा कर सत्ता में आयी भाजपा देश के संसाधनों को दोनों हाथों से लुटा रही है. लगातार मजदूर-किसान विरोधी फैसले लिए जा रहे हैं. मजदूरों पर हमला तेज़ करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रम सुधारों के नाम पर पूंजीपतियों के मनचाहे संशोधन श्रम कानूनों में कर दिए हैं.’ उन्होंने कहा ‘एक ओर श्रमिकों के लिए लगातार मुश्किलें खडी की जा रही हैं दूसरी ओर नरेंद्र मोदी एक उद्योगपति गौतम अडानी पर इतने कृपालु हैं कि उसके बगल में बैठकर ही विभिन्न देशों के दौरे कर रहे हैं. जिस अडानी को दुनिया में किसी बैंक ने ऋण नहीं दिया उसे एस.बी.आई. से लगभग 6200 करोड़ का ऋण दिलाकर स्टेट बैंक को निजी हाथों में सौपने की ओर कदम बढ़ा दिया गया है.’
कार्यक्रम के बाद राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया गया जिसमें उनसे मांग की गयी कि वे संसद द्वारा पारित श्रम-संशोधनों को ख़ारिज करें, बैंक-बीमा-रेलवे समेत सभी सार्वजनिक उपक्रमों में विदेशी पूँजी निवेश बंद किया जाय, पी.पी.पी. मोड समाप्त किया जाय. केंद्र सरकार ने बेरोजगारों को रोजगार देने की घोषणा की थी परन्तु 31 अक्टूबर 2014 को नियुक्ति और सीधी भर्ती पर प्रतिबंध लगा दिया है. सभी भर्तियों से प्रतिबन्ध हटाया जाय और बेरोजगारों को रोजगार दिया जाय, न्यूनतम मजदूरी 15000 रूपये मासिक की जाय, उद्योगपति गौतम अडानी को केंद्र सरकार द्वारा ऑस्ट्रेलिया में खदान हेतु स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के माध्यम से लगभग 6200 करोड़ रूपये दिए जाने की भर्त्सना करते हुए मांग की गयी कि इसे तत्काल रद्द किया जाय, आशा, आंगनबाड़ी, भोजनमाता को स्थायी राज्य कर्मचारी घोषित किया जाय, वन निगम में कार्यरत लठ्ठा मजदूरों को न्यूनतम वेतन देते हुए नियमित किया जाय, बी.एस.एन.एल. व सीमैप में न्यूनतम मजदूरी में अवैध कटौती बंद की जाय, ठेका उन्मूलन कानून को कड़ाई से लागू किया जाए, सिडकुल में ट्रेनी के नाम पर श्रमिकों का शोषण बंद किया जाए.
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