राजजात के लिए हुए करोड़ों के कार्यों में धन की जम कर बंदरबांट

अभी ज्यादा वक्त नहीं बीता, जब उत्तराखंड की कांग्रेस सरकार, नंदादेवी राजजात को सफलता पूर्वक आयोजित करने के लिए अपनी पीठ अपने आप ठोक रही थी. लेकिन अब अखबारों में इस तथाकथित सरकारी सफलता के कच्चे चिट्ठे बाहर निकल रहे हैं. अमर उजाला में छपी खबर के मुताबिक राजजात के लिए हुए करोड़ों के कार्यों में धन की जम कर बंदरबांट हुई. खबर के अनुसार चमोली जिले की तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रजनी भंडारी ने निविदा समिति की अनुशंसाओं को दरकिनार कर, अधिक दरों पर टेंडर डालने वालों को काम आवंटित कर दिए. यह खबर मुख्य विकास अधिकारी की जांच रिपोर्ट के हवाले से छपी है. इसलिए ऐसा हो नहीं सकता कि शासन-प्रशासन इस गडबडझाले से अनिभिज्ञ हो. तब दो साल बाद भी कोई कार्यवाही क्यूँ नहीं हुई? क्या सिर्फ इसलिए कि श्रीमती रजनी भंडारी, कांग्रेस के विधायक राजेन्द्र भंडारी की पत्नी हैं? इस मामले में एक रोचक बात यह है कि अखबार में जिनके भी बयान छपे हैं, वे इस मसले पर कुछ नहीं जानते. हद तो यह हो गयी कि श्रीमती रजनी भंडारी के पति, बद्रीनाथ के विधायक राजेन्द्र भंडारी ने भी बयान दिया कि वे कुछ नहीं जानते. इन्तहा तो यह हो गयी कि वे अपनी पत्नी का फोन नम्बर तक नहीं जानते! अरे भाई भ्रष्टाचार में शामिल नहीं हैं तो खम ठोक कर कहिये कि बेदाग़ हैं. तमाम दबंगई के बावजूद यदि ऐन मौके पर पत्नी का नम्बर याद रखने में भी याददाश्त हांफ रही है तो इसका मतलब है कि कुछ गोलमाल हुआ है और आपकी सरपरस्ती में हुआ है!

मुख्यमंत्री हरीश रावत इस प्रकरण में मुंह खोल कर क्या कुछ बयानों की फुलझड़ी छोड़ेंगे? मुंह खोलने की कोशिश तो भाजपा वाले कर रहे हैं. पर भाजपा वालो, तुम न ही बोलो तो अच्छा है. एक तो इन हजरत की इस तरक्की में आप लोगों का भी महति योगदान है. दूसरा ये कि आज मुर्दाबाद करके, न हो कि चुनाव आते-आते जिंदाबाद करनी पड़े.

इस पूरे प्रकरण का एक गौरतलब पहलु यह भी है कि जब यह गड़बड़झाला अंजाम दिया जा रहा होगा तो क्या चमोली जिले के प्रशासन को इसकी कोई जानकारी न रही होगी या वे जानकार अनजान बने रहे? दो अफसरों-मुरुगेशन (तत्कालीन डी.एम.) और डा.मेहरबान सिंह बिष्ट (राजजात के नोडल अफसर/तत्कालीन ए.डी.एम.) को हरीश रावत चमोली जिले से हरिद्वार में अर्द्धकुम्भ आयोजित करने ले गए हैं. क्या इनकी ये भी योग्यता समझी गयी होगी कि इन्हें ऐसे गड़बड़झालों का पता ही नहीं चलता? या कि इस बात का इन्हें पता है, ये किसी को पता नहीं चलता? अगर इनमे से कुछ भी लेशमात्र सही है तो यह आशंका बलवती हो उठती है कि हरिद्वार अर्द्धकुम्भ में भी कुछ एक तो अपनी पत्नी या प्रियजनों का नम्बर भूल कर मुक्ति पा जायेंगे!

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