अखिल भारतीय किसान महासभा के शिष्टमण्डल ने तहसीलदार कार्यालय में राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन सौंपकर बिन्दुखत्ता नगरपालिका खारिज करने और आंदोलनकारियों पर लादे गये फर्जी मुकदमें वापस लेने की मांग की।
इस दौरान किसान महासभा के जिला सचिव राजेन्द्र शाह ने कहा कि उत्तराखण्ड की निवर्तमान कांग्रेस सरकार ने बिन्दुखत्ता जैसे ग्रामीण क्षेत्र को 19 दिसम्बर 2014 को नगरपालिका बनाये जाने के सम्बंध में अंतरिम अधिसूचना जारी की और ग्रामीणों से आपत्तियां मांगी थी। इस पर लगभग एक हजार ग्रामीणों ने सामूहिक आपत्तियां शहरी विकास विभाग को भेजी थी और बिन्दुखत्ता को नगरपालिका न बनाने का आग्रह भी सरकार से किया था। 28 जनवरी 2015 को दसियों हजार लोगों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध जाहिर किया था। परंतु सरकार ने लोगों की आपत्तियों व विरोध को दरकिनार करते हुए 24 फरवरी 2015 को बिन्दुखत्ता को नगरपालिका बनाने की अंतिम अधिसूचना जारी कर दी। साजिश के तहत लालकुआं शहर की 5 घनी बस्तियों को बिन्दुखत्ता में शामिल कर दिया। जबकि कांग्रेस को छोड़कर भाकपा(माले), भाजपा सहित अन्य सभी दल सरकार के इस फैसले के विरोध में हैं।
किसान महासभा के वरिष्ट नेता भुवन जोशी ने कहा कि बिन्दुखत्ता एक पूर्णतः ग्रामीण क्षेत्र है। यहां की 90 प्रतिशत जनता कृषि व पशुपालन से ही अपनी आजीविका चलाती है। जब से बिन्दुखत्ता बसा है तब से यहां के लोग बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव का दर्जा देने की मांग करते आ रहे हैं। ताकि यहां की जमीन पर काबिज किसानों को अपनी जमीन का मलिकाना हक मिल सके और यहां पंचायतों के माध्यम से विकास की रफ्तार को बढ़ाया जा सके। परंतु निवर्तमान सरकार ने भू-माफियाओं को फायदा पहुंचाने और यहां के किसानों की जमीन छीनने के इरादे से बिन्दुखत्ता को नगरपालिका का दर्जा दिया है। जबकि कानूनन यहां नगरपालिका बनाना सम्भव नहीं है। इसलिए नगरपालिका को निरस्त करने के लिए अखिल भारतीय किसान महासभा की ओर से हाईकोर्ट में भी केस लम्बित है।
बिन्दुखत्ता अध्यक्ष बसंती बिष्ट ने कहा कि 14 अक्टूबर को जब स्थानीय विधायक हरीश दुर्गापाल नगरपालिका कार्यालय का उद्घाटन करने आये थे तो स्थानीय लोगों ने कार्यालय उद्घाटन का शांतिपूर्वक विरोध किया था। लेकिन दुर्गापाल और कांग्रेस के नेताओं ने पुलिस की मिलीभगत से आंदोलनकारियों पर फर्जी केस दर्ज करा दिया। कांग्रेस के लोगों ने महिलाओं के साथ बदतमीजी तक की। उन्होंने कहा उत्तराखण्ड में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद प्रदेश की शासन-प्रशासन व्यवस्था राज्यपाल के हाथ में है। अतः मांग की गयी कि बिन्दुखत्ता की जनता के पक्ष में नगरपालिका बिन्दुखत्ता को तुरंत खारिज करें और आंदोलनकारियों पर लादे गये झूठे मुकदमें तुरंत वापस लिये जाएं।
ज्ञापन देने वालों में राजेन्द्र शाह, बसंती बिष्ट, लाखन सिंह, भुवन जोशी, गोविन्द जीना, ललित मटियाली, हरीश जोशी आदि थे।