अमेरिका के साथ लॉजिस्टिक सपोर्ट समझौता देश की संप्रभुता को गिरवी रखने के समान

हल्द्वानी, 13 अप्रैल, “देशभक्ति का जाप कर लोगों को आतंकित करने वाली मोदी सरकार ने अमेरिका के सामने देश की संप्रभुता को गिरवी रखते हुए रक्षा क्षेत्र में ‘लाजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट’ करने का फैसला कर लिया है. इस समझौते से अमेरिका को भारतीय सैन्य ठिकानों का उपयोग करने का अधिकार मिल जायेगा जो कि देश की सुरक्षा के लिये गंभीर खतरा पैदा कर देगा.” भाकपा(माले) जिला सचिव कैलाश पाण्डेय ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि “अमेरिका का सैन्य इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है जब उन्होंने किसी न किसी बहाने दूसरे देशों के सैन्य ठिकानों पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया है. इस समझौते की ख़ास बात यह भी है कि जिस समय अमेरिकी सेना हमारे देश के किसी हिस्से का उपयोग करेगी वह जह तब तक अमेरिका की टेरिटरी (कब्ज़े वाली जगह) रहेगी और उस पर कोई भारतीय कानून लागू नहीं होगा. भाजपा सरकार का अमेरिका के सम्मुख यह समर्पण शर्मनाक है.”

कैलाश पाण्डेय ने बताया कि, “अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर और भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर परिंकर ने कल संयुक्त रूप से कहा कि दोनों देशों की सेनाएं ‘एक-दूसरे के रक्षा सामान का इस्तेमाल’ कर सकेंगी”. उन्होंने सवाल किया कि, “क्या भारत सरकार ने राष्ट्रीय मर्यादा को ताक पर रख कर अमेरिका को हमारे रक्षा सामानों की इस्तेमाल की इजाजत देकर अपने देश को अमेरिका का जूनियर पार्टनर बना लिया है. देश की जनता देशभक्ति का सर्टिफिकेट बाँटने वालों से यह जानना चाहती है.”  उन्होंने कहा कि, “असल में फासीवादी लोग जितने जोर से देशभक्ति का नारा लगाते हैं उतने ही जोर से साम्राज्यवाद के आगे नतमस्तक भी होते हैं, यह फासीवाद का चरित्र है. मोदी अमेरिका के आगे घुटने टेकने वाले रक्षा समझौतों को रद्द करें अन्यथा भारत की देशभक्त जनता चुप नहीं बैठेगी.

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