“उठो मेरे देश” अभियान, (जो की 23 मार्च भगत सिंह की शहादत दिवस से 14 अप्रैल बाबा साहेब अम्बेडकर के 125वें जन्मदिन तक होगा) के तहत “नए भारत के वास्ते, भगत सिंह – अम्बेडकर के रास्ते” के केंद्रीय नारे से साथ श्रीनगर गढ़वाल (गढ़वाल विश्वविद्यालय) में “भगत सिंह- अम्बेडकर के विचारों की वर्तमान में प्रासंगिकता” विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन आइसा(AISA) द्वारा किया गया।
देशभर में हमारे कार्यक्रम का विरोध करने वाली अ.भा.वि.प ने यहाँ भी अपना कार्यक्रम जारी रखा। हमारे द्वारा कार्यक्रम का दिन भी अभी ठीक तरह से तय नही हुआ था कि अभाविप ने कैंपस में कार्यक्रम न करने की धमकी के साथ गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलपति को भगत सिंह और अम्बेडकर के नाम पर देशविरोधी कार्यक्रम की आशंका के कारण कार्यक्रम न होने देने का ज्ञापन दिया।
तमाम धमकियों और अभाविप के गोष्ठी को नुकसान पहुचने की आशंकाओं के बीच तय समय 6 अप्रैल को हमारा कार्यक्रम हुआ जिसमे मुख्य वक्ता के बतौर आइसा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान में माले के राज्य कमेटी के सदस्य इन्द्रेश मैखुरी थे। कार्यक्रम शुरू होने के पश्चात अभाविप को अपना विरोध का कार्यक्रम पूर्ण न होते देख उन्होंने कोतवाल से सभा को सुनने की आज्ञा मांगी और जो अभी तक हमारा विरोध कर रहे थे वो अब हमे सुनने बैठ गये। इरादा तो यही रहा होगा कि सही मौका देख कर वे बवाल कर सकें.परन्तु अंत तक वे ऐसी हिम्मत न जुटा सके.गोष्ठी में गढ़वाल विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण(D S W),मुख्य नियंता(चीफ प्रोक्टर) आदि प्रशासनिक अधिकारी कार्यक्रम शांतिपूर्ण हो इसके लिए वहाँ सभा होने तक डटे रहे।यह भी गौरतलब है कि विश्वविद्यालय के उक्त प्रशासनिक अधिकारियों ने आइसा को गोष्ठी न करने देने की अभाविप की मांग को मजबूती से खारिज कर दिया और किसी भी धमकी के सामने झुकने से इंकार कर दिया.
कार्यक्रम की शुरुआत आइसा के साथी अंकित उछोली द्वारा भगत सिंह का अछूत समस्या पर लिखे लेख को पढ़ कर की गयी।
इन्द्रेश मैखुरी ने कहा कि विविधता भारत की ताकत है यहाँ लाखों सहमति-असहमति के बावजूद लोग एक साथ रहते है। भाजपा-संघ-अभाविप के लिए जनता की कमाई को लुटने वाले विजय माल्या, ललित मोदी जैसे लोग देशद्रोही नही है बल्कि आदिवासी, गरीबों, दलितों, किसानों की बात करने वाले , व्यवस्था से सवाल पूछने वाले देशद्रोही हो जाते है। हम भारत को भगत सिंह- अम्बेडकर का देश बनाना चाहते है जो मजदूरों,दलितों, वंचितों, किसानों का देश हो जिनमे इनके अधिकार सुनिश्चित किये जाय।
आइसा के साथी सुबोध डंगवाल ने भगत सिंह का विद्याथियों के नाम पत्र का पाठ किया.
आइसा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अतुल सती ने कहा की आज देश में देशद्रोह और देशभक्ति की छद्म बहस चला कर संघ हमें देश के वास्तविक मुद्दों से भटका रहा है। और अभाविप उन्ही का एजेंडा पूरा कर रहा है गुंडई और उन्माद फैला कर। ताकि हम छात्र आपने वास्तविक मुद्दों नॉन-नेट- फैलोशिप, शिक्षा को निजीकरण से बचाने की लड़ाई और साथी रोहित वेमुला की सस्थानिक हत्या को न्याय दिलाने की लड़ाई से दूर हो सके।
गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि वर्गीश बमोला ने कहा कि छद्म राष्ट्रवादियों और संघ की भारत माता की जय या वन्देमातरम के नारे लगा देने से क्या हमारी शिक्षा, रोजगार, किसानों की आत्महत्या, मजदूरों के अधिकारों का दोहन खत्म हो जाएगा? इन नारों के दम पर ये लोग देश के जल,जंगल, जमीन के जनता वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटका रहा है। जो की हम होने नही देंगे।
गढ़वाल विश्वविद्यालय में गणित विभाग के प्रो० आर०सी० डिमरी ने कहा आज सुचना के अनेक माध्यम हो गये है. जरूरत है इन से सही सूचनाओं के आधार पर आंकलन करना। संघ और भाजपा विज्ञान कांग्रेस को भी अवैज्ञानिकता फैलाने के लिए प्रयोग कर रहे हैं. उन्होंने लेखकों,बुद्धिजीवियों,वैज्ञानिकों,फिल्मकारों,कलाकारों के प्रतिरोध का स्वागत किया.
भाकपा (माले) के गढ़वाल सचिव अतुल सती ने कहा कि आज भी गावों में दलितों और छूआछुट का सम्बन्ध उतना ही है जितना अम्बेडकर के जीवन काल में था। आज उत्तराखंड की राजनीति में जो हलचल मची है वो साफ तौर पर संविधान का मजाक है। तब हमे अम्बेडकर को याद करने की ज्यादा जरूरत है। देश की बहस से इन मुद्दों को अलग किया जा रहा है जो कि अच्छे संकेत नही है। ये सरकार विकास के नाम पर आई थी जो कि अब जुमलों में तब्दील हो चुकी है।
गोष्टी का संचालन सुमित रिंगवाल ने किया।
गोष्ठी में आइसा की श्रीनगर इकाई की अध्यक्ष शिवानी पाण्डेय, प्रियंका नेगी, प्रमोद असवाल, उत्तम पंवार, आदि छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
-शिवानी पाण्डेय
उठो मेरे देश :नए भारत के वास्ते –भगत सिंह आंबेडकर के रास्ते !राष्ट्रीय अभियान के तहत आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर 13 अप्रैल को जोशीमठ के ब्लाक हाल में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया ! गोष्ठी का विषय था वर्तमान दौर में भगत सिंह व आंबेडकर की प्रासंगिकता !गोष्ठी में मुख्य वक्ता के बतौर बोलते हुए भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य इन्द्रेश मैखुरी ने कहा कि आज जब देश में राष्ट्र भक्ति की नयी परिभाषा गढ़ी जा रही है व देशभक्ति को सिर्फ नारों में सीमित किया जा रहा है तो बाबा साहेब आंबेडकर व शहीदे आजम भगत सिंह के विचारों को पढ़े जाने समझे जाने की जरूरत है ,जो लोग देश को धर्म के नाम पर मनुस्मृति के हिसाब से चलाना चाहते है वे ही आंबेडकर के नाम पर ढकोसला भी कर रहे हैं जबकि बाबा साहेब व भगत सिंह पतनशील मूल्यों के खिलाफ लड़े और इस पर उन्होंने विस्तार से लिखा भी है.अपने विस्तृत वक्तब्य में देश में हाल के दिनों में उठी तमाम बहसों पर बोलते हुए उन्होंने नव युवाओं से आम्बेडकर व भगत सिंह के लिखे साहित्य व लेखों को पढने का भी आह्वान किया ,बाबा साहेब व शहीदे आजम के तमाम लेखों पुस्तकों का उद्धरण देते हुए उन्होंने वर्तमान में देश में चल रही सरकार को गरीब दलित मजदूर किसान विरोधी करार देते हुए लम्बे संघर्ष का भी आह्वान किया ! आइसा के रास्ट्रीय पार्षद अतुल सती ने गोष्ठी के परिपेक्ष्य व अभियान के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए वर्तमान दौर में छात्र नौजवानों के सम्मुख चुनौतियों का जिक्र करते हुए उच्च शिक्षा को आम लोगों की पहुँच से दूर करने की साजिश का भी खुलासा किया !हैदराबाद व जेनयु विश्वविद्यालय की घटनाओं के सन्दर्भ को शिक्षा के निजीकरण व ब्याव्सायी करण से जोड़ते हुए इसे ब्यापक तौर पर समझने पर जोर दिया !
इससे पूर्व गोष्ठी को राजकीय इंटर कालेज के प्राचार्य डा.चौबे व केन्द्रीय विद्यालय के प्राचार्य श्री त्रिभुवन प्रकाश आर्य ने बाबा साहेब व भगत सिंह को याद करते हुए उनके योगदान पर अपनी बात रखी !महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर चरण सिंह राणा ने गोष्ठी की शुरुआत करते हुए कई ज्वलंत सवालों को रखा !उन्होंने वर्तमान दौर के नायक गढने का भी आह्वान किया ! गोष्ठी में डा.राज किशोर सुनील ,प्रेम हिंद्वाल , कुशला लाल ने भी अपनी बात रखी !
भाकपा माले के गढवाल सचिव अतुल सती ने गोष्ठी में आधार वक्तब्य प्रस्तुत किया व प्रशांत कांडपाल ने संचालन किया !मनीषा ,कृष्णचन्द ,आलमी राम आर्य ,अरविन्द पन्त ,मनजीत बिष्ट ,जवाहर.,रमेश ,कल्पेश्वर भंडारी सहित कर्मचारियों छात्रों ने गोष्ठी में भागीदारी की !
-अतुल सती