01 मई मजदूर दिवस के अवसर पर ज़िला मुख्यालय पिथौरागढ़ में श्रमिक संगठन एक्टू से जुड़ी विभिन्न यूनियनों ने रैली निकाली। रैली में “एन. एच. पी. सी. वर्कर्स यूनियन”, “आशा वर्कर्स यूनियन”, “आंगनबाड़ी यूनियन”, “आशा फैसिलेटर यूनियन” के सदस्यों के साथ साथ बड़ी संख्या में छात्रों, प्रबुद्ध नगरिकों एवं वामपंथी पार्टियों के कार्यकर्रताओं ने भागीदारी की। जुलूस नगर के देवसिंह मैदान के निकट स्थित नेहरू पार्क से प्रारम्भ होकर, नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ कलेक्ट्रेट पहुंचा जहां राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा गया जिसमें केंद्र सरकार द्वारा संसद में पारित श्रम सुधार क़ानून रद्द करने, कामगारों को न्यूनतम मजदूरी देने एवं उनकी समस्याओं के तत्काल निराकरण की मांग की गयी।
रैली को सम्बोधित करते हुए भाकपा (माले) के जिला सचिव कॉमरेड गोविंद कफलिया ने कहा कि आज 01 मई मजदूर दिवस को आल इंडिया सेन्ट्रल काउंसिल ऑफ़ ट्रेड यूनियन (एक्टू) के आनुसांगिक संगठन जुलूस प्रदर्शन के माध्यम से मोदी सरकार द्वारा लगातार कामगारों-मजदूरों के क़ानूनी अधिकार छीनते जाने के विरुद्ध अपना प्रतिरोध दर्ज कर रहे हैं. अच्छे दिनों का वादा करने वाले श्री मोदी के राज में कॉरपोरेट परस्त नीतियों के चलते महंगाई बेतहाशा बढ़ी है और साथ ही देश के महिला-पुरुष कामगारों का कानून से हासिल हक़, सुरक्षा और सम्मान ख़त्म को ख़त्म करने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं. इस तरह मजदूर-वर्ग को दो तरफ़ा मार झेलनी पढ़ रही है.
भाकपा (माले) के धारचूला ब्रांच प्रभारी हरीश धामी ने कहा कि भारत सरकार के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने श्रम संगठनों से बिना सलाह-मशविरे के एकतरफ़ा रूप से श्रम कानूनों में संशोधन कर के किया है. इन कानूनों में बदलाव का नतीजा यह होगा कि- 1000 से कम कामगारों वाली औद्योगिक इकाइयों में न्यूनतम वेतन तय करने की सरकार (केंद्र व राज्य) की हैसियत ख़त्म हो जायेगी. कामगारों को कारखाने के भीतर रोकने का समय 10:30 घंटे से बढ़कर 12 घंटे हो जायेगा और मुख्य कारखाना निरीक्षक की अनुमति से कामगारों को 16 घंटे तक कारखाने में रोका जा सकता है. महिलाओं से ख़तरनाक प्रकृति के काम व रात की पाली में काम करवाया जायेगा जिस पर अभी तक रोक थी. समझा जा सकता है कि महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों व सस्ते श्रम के रूप में उनकी स्थिति में सरकार के इस कदम के अन्य नतीजे क्या हो सकते हैं और साथ ही केंद्र की मोदी सरकार ने आशा-आंगनबाड़ी कर्मियों के केन्द्रीय मद में भारी कमी कर दी है.
इस अवसर पर रैली को सम्बोधित करते हुए विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद यहाँ की कामगार आबादी उपेक्षा की शिकार है. एन.एच. पी.सी. कॉन्ट्रैक्ट लेबर, आशा, आंगनबाड़ी, भोजनमाता, लठ्ठा मजदूर, पी.टी.सी. वर्कर्स, ग्राम प्रहरी, उर्जा मित्र, बी.एस.एन.एल. ठेका मजदूर, निर्माण मजदूर, सफाई कर्मचारी, सिडकुल में काम करने वाले हजारों श्रमिक सभी शोषण-उत्पीड़न के शिकार हैं. राज्य सरकार श्रमिकों के उत्पीड़न पर आँख मूंदे है और कभी श्रम मुद्दों पर सरकार खड़ी होती भी है तो मिल मालिकों और प्रबंधन के पक्ष में.
मजदूर दिवस के अवसर पर जुलूस प्रदर्शन के पश्चात ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति महोदय से मांग की गयी है कि—
- बेतहाशा बढ़ती महंगाई पर रोक लगायी जाय तथा जमाखोरों-कालाबाजारियों को राजनीतिक संरक्षण देना बंद करते हुए उनके खिलाफ तत्परता से सख्त कार्यवाही की जाय.
- ठेकेदारी उन्मूलन एक्ट (क्लारा) को तत्काल लागू किया जाय.
- श्रम-कानूनों में किये गए सभी श्रमिक-विरोधी संशोधनों को रद्द किया जायं.
- आशा, आंगनबाड़ी, भोजनमाता को स्थायी राज्य कर्मचारी घोषित किया जाय, तथा मोदी सरकार द्वारा केन्द्रीय मद में की गयी कटौती वापस ली जाय.
- सभी महिला-पुरुष कामगारों का न्यूनतम वेतन 20,000 रूपये मासिक किया जाय.
- सभी निर्माण मजदूरों के कार्ड बनाये जायं और कार्ड बनाने में हीलहवाला करने वालों को दण्डित किया जाय. साथ ही फर्जी कार्ड बनवाने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाय.
- बैंक-बीमा-रेलवे-परिवहन समेत सभी सार्वजनिक उपक्रमों में विदेशी पूँजी निवेश बंद किया जाय.
- पी.पी.पी. मोड समाप्त किया जाय.
- वन निगम में कार्यरत लठ्ठा मजदूरों को न्यूनतम वेतन देते हुए नियमित किया जाय.
- एन.एच.पी.सी. में कार्यरत ठेका कार्मिकों को न्यूनतम मजदूरी, बोनस एवं भत्ते देने की गारंटी की जाय. वर्षों से एन.एच.पी.सी. में कार्यरत कार्मिकों को स्थाई कर्मचारी घोषित किया जाय.
- बी.एस.एन. एल. व सीमैप में न्यूनतम मजदूरी में अवैध कटौती बंद की जाय तथा उन्हें स्थायी कर्मी घोषित किया जाय.
- उत्तराखण्ड के सिडकुलों में काम करने वाले हजारों श्रमिक के शोषण-उत्पीड़न पर रोक लगायी जाय.
- सभी कर्मचारियों हेतु पुरानी पेंशन योजना लागू करो.
- मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन वापस लो.
- केंद्र सरकार ने बेरोजगारों को रोजगार देने की घोषणा की थी परन्तु नियुक्ति और सीधी भर्ती पर प्रतिबंध लगा दिया है. सभी भर्तियों से प्रतिबन्ध हटाया जाय और बेरोजगारों को रोजगार दिया जाय.
मई दिवस के इस कार्यक्रम में आशा यूनियन और आशा फैसिलेटर्स यूनियन की इंद्रा देउपा, माधवी वल्दिय, गीता महर, दीपा पाठक, एन.एच.पी.सी वर्कर्स यूनियन के उदय सिंह धामी, किशन सिंह, नरेन्द्र सिंह समेत दर्जनों सदस्य उपस्थित थे. इस अवसर पर भाकपा (माले) के जिला सचिव गोविंद कफलिया, राज्य कमेटी सदस्य विमल दीप फिलिप, सुरेन्द्र बृजवाल, हरीश धामी, आइसा के हेमंत खाती समेत अनेक प्रबुद्ध नगरिकों एवं छात्रों ने रैली में भाग लिया।