लालकुआं 6 मई 2016,
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने राज्य के विभिन्न स्थानों में जे.एन.यू. के छात्रों की भूख हड़ताल के समर्थन में एक दिवसीय धरना दिया। धरने के उपरांत सभी स्थानों पर प्रशासन के माध्यम से मानव संसाधन विकास मंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन दिया गया।
लालकुआं में धरने को सम्बोधित करते हुए भाकपा(माले) के राज्य सचिव राजेन्द्र प्रथोली ने कहा कि मोदी सरकार के दवाब में जे.एन.यू. प्रशासन की उच्च स्तरीय कमेटी ने 19 छात्रों पर झूठे आरोप लगाकर निष्कासन और आर्थिक दंड जैसे फैसले लिये हैं, जो कि गरीब, आदिवासी समुदाय के छात्रों की आवाज को कुचलने की कोशिश है। प्रशासन द्वारा बनायी गई कमेटी शुरू से ही विवादास्पद है। यह कमेटी ऐसे प्रोफेसर के नेतृत्व में बनायी गयी जो कि आरक्षण विरोधी है। जबकि जेएनयू छात्र व शिक्षक समुदाय में अधिकांश लोग आरक्षण के आधार पर दलित, आदिवासी, गरीब तबके से जेएनयू में प्रवेश ले पाते हैं। शुरू से ही जेएनयू के शिक्षक व छात्र समुदाय इस कमेटी के विरोध में थे। इस कमेटी के फैसले जेएनयू कैम्पस के लोकतांत्रिक माहौल के विरोध में है और देश-दुनिया के तमाम सवालों को उठाने वाली आवाजों का गला घोटना चाहते हैं।
भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि जेएनयू के 19 छात्रों के ऊपर आर्थिक व निष्कासन के दण्ड से छात्रों का भविष्य अधर में लटक जायेगा। इसके विरोध में छात्र पिछले 10 दिन से भुख हड़ताल पर हैं। मोदी सरकार के इशारों पर जेएनयू प्रशासन छात्रों को आत्महत्या के लिए विवश कर रहा है। ऐसी ही परिस्थितियां मोदी सरकार के 2 केन्द्रीय मंत्रियों द्वारा हैदराबाद विश्वविद्यालय में खड़ी की गयी थी। जिसकी परिणति रोहित वेमूला की सांस्थानिक हत्या है। मोदी सरकार का रवैया तानाशाहीपूर्ण है। उत्तराखण्ड में असंवैधनिक तरीके से राष्ट्रपति शासन लगाना इसका सबसे जीता-जागता उदाहरण है।
धरने के उपरांत मानव संसाधन विकास मंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन कानूनगो को सौंपा। धरने का संचालन भाकपा(माले) के एरिया सचिव ललित मटियाली ने किया। धरने में पंकज इंकलाबी, विमला रौथाण, राजेन्द्र शाह, स्वरूप दानू, पुष्कर दुबडि़या, मदन धामी, दौलत कार्की, मीना मेहता, ममता, लछिमा देवी, भागीरथी कश्यप, रतन सिंह, काशी राम जोशी, किशन सिंह बघरी, भुवन तिवारी,विनादे कुमार, गोकुल सिंह, गंगा देवी, भगत सिंह, उमेश, शांति देवी, प्रेमराम टम्टा, मदन राम आदि लोग उपस्थित थे।
पिथौरागढ़ में उप जिला अधिकारी को मानव संसाधन विकास मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन सौंपने के पश्चात भाकपा (माले) जिला सचिव ने पत्रकार-वार्ता में कहा कि जेएनयू छात्र संघ के नेतृत्व में 19 छात्र जे.एन.यू. के छात्रों पर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों के अन्यायपूर्ण निष्कासन और जुर्माना लगाये जाने के फैसले की वापसी की मांग पर आमरण अनशन पर हैं। जिस जांच कमेटी द्वारा जेएनयू छात्रों के खिलाफ फैसला दिया गया उसकी निष्पक्षता और जरुरत पर जेएनयू के छात्र पहले ही सवाल उठा चुके थे. वैसे भी 9 फरवरी की घटना के बाद जब मामला माननीय न्यायालय के समक्ष है तब अतिरिक्त सक्रियता दिखाकर छात्रों को दण्डित करने में जल्दबाजी सवाल खड़े करती है. साफ़ है कि विश्वविद्यालय के कुलपति ऊपरी दबाव में छात्रों के खिलाफ फैसले ले रहे हैं। इस अवसर पर राज्य कमेटी सदस्य विमल दीप फिलिप, आइसा नेता हेमंत खाती, पूर्व छात्र नेता नवीन शर्मा आदि उपस्थित थे।
गोपेश्वर में भाकपा (माले) राज्य कमेटी सदस्य इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि जब से मोदी सरकार सत्ता में आयी है उसने आरएसएस के इशारे पर देश के शिक्षण संस्थानों पर हमला बोल दिया है। मोदी सरकार आने के बाद देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में संघ के ऐसे लोगों को बैठाया जा रहा है जो शिक्षा के भगवाकरण और निजीकरण का रास्ता खोल सकें। मोदी सरकार लगातार शिक्षा के बजट में कटौती करते जा रही है। इसी कारण छात्र समुदाय ने चेन्नई आईआईटी, हैदराबाद यूनिवर्सिटी, एफटीआईआई और जेएनयू जैसे विश्वविख्यात संस्थानों में मोदी सरकार की नीतियों का करारा जवाब दिया है। गोपेश्वर में इंद्रेश मैखुरी, माकपा के चमोली जिला मंत्री कॉमरेड भूपाल सिंह रावत, डी.वाय.एफ.आई. के प्रांतीय महामंत्री कॉमरेड मदन मिश्र, कॉमरेड ज्ञानेंद्र खंतवाल, एडवोकेट सुरेंद्र भण्डारी, गीता बिष्ट, दिलबर सिंह आदि के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारियोँ को सौंपा गया।
श्रीनगर (गढ़वाल) में उप-जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने के पश्चात पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए भाकपा (माले) राज्य कमेटी सदस्य कॉमरेड के.पी.चंदोला ने कहा कि मोदी सरकार के निशाने पर मुख्य रूप से छात्र समुदाय ही है। इसी कारण छात्रों के आंदोलन के कुचलने के लिए मोदी सरकार देशद्रोह बनाम देशभक्ति का मुद्दा खड़ा कर रही है। मोदी सरकार की तथाकथित देशभक्ति की आड़ में देश के संसाधनों और जनता के पैसों को अडानी-अम्बानी-माल्या जैसे कॉरपोरेटों के हाथों लुटाने की नीतियां मोदी सरकार बना रही है। जबकि देश मे किसान सूखे और कर्ज से बेहाल होकर आत्महत्या की ओर विवश हो रहे हैं। इस अवसर पर कॉमरेड योगेंद्र काण्डपाल भी उपस्थित थे।
सभी जगहों पर सौंपे ज्ञापन में निम्न मागे थी-
- जेएनयू विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जेएनयू छात्रों पर लगे सभी निष्कासन– जिसमें हॉस्टल से निष्कासन, कैंपस से निष्कासन, कोर्स से निष्कासन शामिल हैं- वापस लिया जाय व आर्थिक जुर्माना लगाये जाने का फैसला रद्द किया जाय.
- विश्वविद्यालयों में सरकारी हस्तक्षेप बंद किया जाय क्योंकि इसी अनावश्यक हस्तक्षेप के चलते हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की जान चली गयी और इसी हस्तक्षेप को जेएनयू में भी साफ महसूस किया जा सकता है.
- विश्वविद्यालयों व उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में दलित, आदिवासी, सामाजिक रूप से पिछड़े छात्रों का नामांकन काफी कम संख्या में हो पाता है. परन्तु इन संस्थाओं में उनका उत्पीड़न आम बात हो गयी है. इसे रोकने के लिए रोहित वेमुला के नाम पर ‘रोहित एक्ट’ बनाया जाय.