गोपेश्वर 11 मई, आज यहां पूर्व छात्र संघ पदाधिकारियों ने जे.एन.यू. में 14 दिन से चल रहे आमरण अनशन के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए छात्रों के बिगड़ते स्वास्थ्य के प्रति चिंता जाहिर की तथा राष्ट्रपति से मांग की है कि छात्रों को सुनाई गयी सभी सजाएं तत्काल वापस ली जाएं। राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन में यह भी मांग की गयी है कि राष्ट्रपति महोदय तत्काल हस्तक्षेप कर स्थिति को बिगड़ने से बचाएं।
ज्ञापन में रा.स्ना.महा.गोपेश्वर-चमोली के पूर्व छात्र संघ अध्यक्षों ज्ञानेद्र खंतवाल, मदन मिश्रा तथा विनोद जोशी, हे.न.ब.ग.विश्वविद्यालय-श्रीनगर(गढ़वाल) के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष इन्द्रेश मैखुरी ने हस्ताक्षर किये। इसके पश्चात एक प्रेस वार्ता में पूर्व छात्र नेताओं ने कहा कि ज्ञापन में देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय – जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में बीते 14 दिनों से 19 छात्र-छात्राएं आमरण अनशन पर राष्ट्रपति का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा गया है कि अनशनकारी छात्रों के स्वास्थ्य में अत्यंत चिंताजनक स्तर की गिरावट आई है. परन्तु न तो विश्वविद्यालय प्रशासन और ना ही केंद्र सरकार (जिसके अनावश्यक हस्तक्षेप ने ऐसे हालात पैदा किये हैं), इस मसले को गंभीरता से हल करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं.
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि 9 फरवरी 2016 को घटी घटना पर अनुशासनात्मक कार्यवाही के नाम पर जिस तरह से छात्र-छात्राओं पर भारी जुर्माना और निष्कासन थोप दिया गया है, वह छात्र-छात्राओं के प्रति उसी शत्रुतापूर्ण रवैया की अभिव्यक्ति है, जैसा की केंद्र सरकार इस विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के प्रति प्रकट करती है. इस सन्दर्भ में यह भी गौरतलब है कि छात्रों, विश्वविद्यालय और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रति यह शत्रुतापूर्ण रवैया सिर्फ जे.एन.यू. तक सीमित नहीं है। जहाँ भी छात्र-युवा देश की सत्ता से इतर राय रखने की हिम्मत कर रहे हैं वहां यह रवैया देखने में आ रहा है। आई.आई.टी. मद्रास में अम्बेडकर-पेरियार स्टडी सर्किल, ऍफ़.टी.आई.आई.आई., हैदराबा
विश्वविद्यालयों के प्रति केंद्र सरकार के इस शत्रुतापूर्ण रवैये की कीमत हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के एक अत्यंत प्रतिभाशाली छात्र रोहित वेमुला के जीवन के रूप में चुकानी पड़ी है. छात्र-युवा देश के भविष्य होते हैं. यदि वर्तमान की सरकार उन्हें अपना शत्रु मान कर, उनके खिलाफ युद्ध जैसी स्थितियों में उतर पड़े तो भले ही यह किसी विचारधारा विशेष को लाभ पहुंचाए, परन्तु देश को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.
छात्र संघ के पूर्व पदाधिकारियों ने आगे कहा है कि वे इस बात से अत्याधिक चिंतित हैं कि देश की उच्च शिक्षण संस्थानों पर केंद्र की सरकार इस तरह से हमलावर है कि वह छात्र-छात्राओं के भविष्य और प्राणों से खिलवाड़ करने तक से गुरेज नहीं कर रही है. देश के संवैधानिक प्रमुख और जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के कुलाधिपति होने के नाते, हम आपसे आग्रह करते हैं कि तत्काल इस प्रकरण में हस्तक्षेप करते हुए छात्र-छात्राओं पर थोपे गए अन्यायपूर्ण जुर्माने और निष्कासन रद्द करवाने का निर्देश दें. साथ ही यह भी सुनिश्चित करवाने की कृपा करें अकादमिक संस्थानों में केंद्र सरकार अनावश्यक हस्तक्षेप न करे.