देहारादून मे विनियमितिकरण एवं अन्य मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे उपनल कर्मियों पर लाठीचार्ज की भाकपा (माले) तीव्र निंदा करती है। उपनल कर्मियों पर हुए इस बर्बर लाठीचार्ज ने मुख्यमंत्री हरीश रावत और उनकी सरकार का तानाशाही चेहरा उजागर कर दिया है। मुख्यमंत्री पद से बर्खास्तगी के दौरान तो हरीश रावत, बेरोजगारों के धरनो मे जा कर सो रहे थे, लेकिन सत्ता वापस मिलते ही वे बेरोजगारों पर लाठियाँ चलवा रहे हैं। इससे साफ है कि बेरोजगारों के साथ दिखना हरीश रावत का पाखंड था और वास्तव मे बेरोजगारों के हित मे कदम उठाने का कोई इरादा नहीं है।
उत्तराखंड सरकार के अधिकांश विभागों मे कामकाज के बड़े हिस्से का संचालन उपनल कर्मियों द्वारा किया जाता है। वर्षों से ये उपनल कर्मी अनिश्चित भविष्य के भय के साये तले कार्य कर रहे हैं। इसलिए इनकी स्थायी एवं नियमित नियुक्ति की मांग एकदम वाजिब है। उत्तराखंड सरकार के सरकारी विभागों मे तकरीबन साठ हज़ार पद रिक्त हैं। इसलिए सरकार को अविलंब उपनल कर्मियों की नियमित नियुक्ति करनी चाहिए। युवाओं के जीवन के ऊर्जावान समय को इस तरह अस्थायी एवं ठेके की नौकरियों मे जाया करना, इन युवाओं के साथ ही राज्य के भविषय के साथ भी खिलवाड़ है।
जिस उत्तराखंड राज्य का गठन ही बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए हुआ था, उस राज्य मे बेरोजगारों को पुलिस द्वारा दौड़ा-दौड़ा कर पीटा जाना, कतई बर्दाश्त किए जाने योग्य नहीं है। हम यह मांग करते हैं कि उपनल कर्मियों की मांगों पर तत्काल सकारात्मक कार्यवाही की जाये तथा उनपर लाठी चलाने वाले पुलिस कर्मियों एवं अधिकारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही की जाये।
इंद्रेश मैखुरी
राज्य कमेटी सदस्य
भाकपा(माले)