कामरेड मान सिंह पाल का जन्म अस्कोट, जौलजीवी में 1962 में हुआ। 1979 में वे उत्तराखंड के हल्द्वानी में ट्रक क्लीनर का काम कर रहे थे। इस बीच बिन्दुखत्ता में चल रहे भूमि संघर्ष की खबरों से प्रभावित होकर वे बिन्दुखत्ता आ गए और बिन्दुखत्ता के भूमि संघर्ष में जुट गये। 1981 में इस आंदोलन का भाकपा माले से संपर्क हुआ और इसके प्रमुख नेता पार्टी से जुड़े। उस दौर में यहीं उनका भाकपा (माले) से संपर्क हुआ। शीघ्र ही अपने जुझारू तेवर के कारण वे इस भूमि संघर्ष के मुख्य नेता बहादुर सिंह जंगी, भुवन जोशी आदि के साथ जनता के बीच स्थापित हुए। तब से अपने अपने जीवन की अंतिम सांस तक वे जन-आन्दोलन के अगुवा नेता के रूप में पूरे क्षेत्र में सक्रिय रहे।
बिन्दुखत्ता में भूमि दखल के माध्यम से हजारों भूमिहीनों को 30 वर्ग किमी क्षेत्र में लगभग 11 हजार एकड। जमीन कब्जा कराने के बाद भाकपा (माले) व उसके किसान संगठन के बैनर तले चले बिन्दुखत्ता के विकास व भूमि के मालिकाना हक सहित राजस्व गाँव के निर्माण के लिए चले आन्दोलनों में वे हमेशा अगुआ भूमिका में रहे। वे मुख्य रूप से 1986-87 व उसके बाद चले राशन कार्ड, स्कूल, अस्पताल, सड़क, बिजली आदि तमाम बुनियादी नागरिक सवालों के लिए संघर्षरत रहे। वे राष्ट्रीय – अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सवालों पर भी पैनी नजर रखते थे और उस पर संघर्ष के लिए भी जनता को संगठित करते थे। 1985 के आस – पास भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे आंदोलन और भारत बंद के दौरान दो बार 4-4 दिन जेल में रहे। आज के उधमसिंह नगर जिले के गदरपुर क्षेत्र में 1988 में हुए महतोष मोड़ बलात्कार कांड के खिलाफ चले जन आन्दोलन में वे 33 दिन जेल में रहे।
1990 में जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जड़ सेक्टर बिन्दुखत्ता की स्थापना के लिए चले आंदोलन में भी वे जेल गए। भूमि संघर्ष के कारण वन विभाग व स्थानीय प्रशासन द्वारा थोपे गए दर्जनों केसों में उन्होंने 15 साल तक मुकदमा झेला। 1994-95 में स्थानीय बेरोजगारों को उद्योगों में 70 प्रतिशत रोजगार की गारंटी के आंदोलन में वे सेंचूरी पल्स एंड पेपर मिल के द्वार पर आमरण अनशन पर रहे। 2003 में दीपा हत्याकांड, घोेड़ानाला क्षेत्र में प्रदूषण के खिलाफ चले आंदोलन में मुकदमा झेला। 2004 में स्थानीय दुग्ध उत्पादकों के आंदोलन में वे अगुआ भूमिका में रहे। दो साल पहले क्षेत्र में हुए संजना हत्याकांड के खिलाफ चले आंदोलन में भी वे सक्रिय रहे। 2004 के बाद वे लगातार राजस्व गांव बनाने के मुद्दे पर आंदोलनरत रहे।
उन्होंने आईपीएफ और बाद में भाकपा माले के नेता के रूप में काम किया। 3 बार बिन्दुखत्ता भाकपा माले के एरिया सचिव रहे। भाकपा माले के राज्य सम्मेलन से पूर्व वे राज्य लीडिंग टीम के सदस्य भी थे। और राज्य सम्मेलन 2013 में वे राज्य कमेटी सदस्य चुने गए। उन्होंने लालकुआं सीट से भाकपा माले प्रत्याशी के रूप में 2012 का विधान सभा चुनाव भी लड़ा। उनकी छवि हमेशा एक आत्मीय, जनता के मददगार, नेता के रूप में रही। लोगों की बीमारी हो या शादी, जन्म हो या मृत्यु कामरेड मानसिंह पाल हमेशा जनता के साथ खड़े मिलते थे। कई बार अपने आर्थिक नुकसान की परवाह किये बगैर भी वे लोगों की समस्याओं को सुलझाते रहे। क्षेत्र में काम करने वाले दैनिक मजदूरों, रिक्शे वालों, फेरी वालों और बेसहारा लोगों को भी कामरेड मानसिंह पाल पूरा सहारा व संरक्षण देते थे।
बिन्दुखत्ता के मुख्य बाजार कार रोड के संस्थापक भी कामरेड मानसिंह पाल ही थे। उन्होंने यहाँ पर बाजार को स्थापित कराने के लिए चौड़ी सड़क की जगह रखवाई। इसी से आज के कार रोड बाजार की शुरुआत हुई। का. मानसिंह पाल ने क्षेत्र के बच्चों को सस्ती व अच्छी शिक्षा दिलाने के उद्येश्य से प्रतिभा बाल एवं माध्यमिक विद्यालय की स्थापना की। बिन्दुखत्ता क्षेत्र की जनता को बैंकिंग सुविधा दिलाने के लिए उन्होंने विशेष प्रयास किए और कार रोड पर उत्तराखंड ग्रामीण बैंक की शाखा खुलवाई। बिन्दुखत्ता को नगर पालिका बनाने के खिलाफ चले आन्दोलन में अपने स्वास्थ्य की परवाह किये बगैर वे अति सक्रियता से भाग लिए और उसके खिलाफ विधानसभा पर होने वाले बिन्दुखत्ता वासियों के प्रदर्शन की सफलता के लिए अपनी अंतिम सांस तक सक्रिय रहे।
कामरेड मानसिह पाल जनता के सेवक, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) और भारतीय क्रांति के सच्चे सिपाही थे। उनका जीवन जनता और क्रांति के लिए समर्पित रहा। हमें कामरेड मानसिह पाल के अधूरे कामों को पूरा करने का संकल्प के साथ आगे बढ़ना है।
भाकपा माले
उत्तराखण्ड राज्य कमेटी