70 के दशक से बिन्दुखत्ता को राजस्व गाँव बनाने की लड़ाई लाल झंडे की अगुवाई में चल रही है. शुरूवाती दौर में बिन्दुखत्ता को राजस्व गाँव बनाने की मांग केवल भाकपा(माले) ही लम्बे अरसे तक उठाती रही. धीरे-धीरे स्थानीय जनता के बीच इस मांग की लोकप्रियता देखते हुए सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव के समय बिन्दुखत्ता को राजस्व गाँव बनाने का वायदा एक नियाम की तरह करती हैं. लेकिन कांग्रेस-भाजपा के अन्य चुनावी वायदों का जैसा हश्र होता है, वैसा ही बिन्दुखत्ता की मांग का भी हुआ. उत्तराखंड की सत्ता में बारी-बारी से सत्तासीन होने के बावजूद कांग्रेस-भाजपा ने कभी बिन्दुखत्ता को राजस्व गाँव बनाने का प्रस्ताव तक पास करने की जहमत तक नहीं उठायी. यह उपेक्षा ही जैसे कुछ कम थी कि कांग्रेस की हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार ने 19 दिसम्बर 2014 को बिन्दुखत्ता को नगरपालिका बनाने की अंतरिम अधिसूचना जारी कर दी. राजस्व गाँव की मांग के विपरीत नगरपालिका की घोषणा किये जाने से स्थानीय लोग आक्रोशित हो उठे और अखिल भारतीय किसान महासभा के नेतृत्व में आंदोलन शुरू हो गया. पहले स्थानीय स्तर पर पंचायतें आयोजित की गयी. 28 जनवरी को बिन्दुखत्ता के तहसील मुख्यालय लालकुँआ में हज़ारों की भागीदारी वाली अखिल भारतीय किसान महासभा की किसान महापंचायत ने संकेत दे दिया था कि कांग्रेस सरकार और स्थानीय विधायक व उत्तराखंड सरकार में मंत्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल का यह दांव उन्हें बहुत भारी पड़ने वाला है. महापंचायत में ही यह ऐलान हुआ था कि यदि राज्य सरकार नगरपालिका की अंतरिम अधिसूचना वापस नहीं लेती तो बजट सत्र में विधानसभा का घेराव किया जाएगा. कांग्रेस और स्थानीय विधायक के लोगों ने नगरपालिका के समर्थन में जनसंपर्क अभियान का ऐलान किया पर तीसरे-चौथे दिन जनता के विक्षोभ को देखते हुए यह अभियान अपने आप ठप्प हो गया. इसी बीच कांग्रेस सरकार ने गुपचुप तरीके से बिन्दुखत्ता को नगरपालिका बनाने की पूर्ण अधिसूचना जारी कर दी. जनता के गुस्से और आन्दोलन के प्रभाव को भांपते हुए 24 फरवरी को जारी अधिसूचना को 11 मार्च के समाचार पत्रों में प्रकाशित किया गया. इस मामले में जनता द्वारा दाखिल आपत्तियों की कोई सुनवाई तक नहीं की गयी.
bउत्तराखंड सरकार के द्वारा चोरी-छुपे तरीके से बिन्दुखत्ता को नगरपालिका बनाने की कोशिश के विरुद्ध अखिल भारतीय किसान महासभा के आह्वान पर सैकड़ों की तादाद में बिन्दुखत्ता वासी लाल झंडा थामे, उत्तराखंड की विधानसभा तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए 17 मार्च 2015 को देहरादून की सड़कों पर उतरे. जब लाल झंडे-बैनर वाली सैकड़ों लोगों की यह रैली जब देहरादून रेलवे स्टेशन से विधानसभा की ओर चली तो देहरादून शहर इसके प्रभाव से अछूता नहीं रहा. बिन्दुखत्ता को नगरपालिका बनाने के खिलाफ विक्षोभ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अत्यधिक वृद्ध महिला-पुरुष जिनको आम तौर पर चलने-फिरने में तकलीफ होती है, वे पूरी रात भर ट्रेन के सामन्य श्रेणी के डब्बे में जैसे-तैसे लद कर देहरादून पहुंचे और फिर 5 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक पैदल मार्च किया. विधानसभा के कुछ कदम के फासले पर इस प्रदर्शन को पुलिस द्वारा बैरिकेटिंग लगा कर रोक दिया गया. पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर जनसभा शुरू कर दी.
fजनसभा को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि बिन्दुखत्ता की जनता पर जमीन का मालिकाना हक़ चाहती है जो कि राजस्व गाँव का दर्जा मिलने पर ही संभव होगा. नगरपालिका बनने के बाद तो यहाँ के वाशिंदों के लिए जमीन पर मालिकाना अधिकार पाना लगभग असंभव हो जाएगा. उन्होंने कहा कि सत्ताधारी कांग्रेस तो बिन्दुखत्तावासियों को जमीन के मालिकाने के अधिकार से वंचित करने का षड्यंत्र रच ही रही है लेकिन विपक्षी भाजपा भी इस मसले पर कांग्रेस का मौन समर्थन ही कर रही है.
उत्त्ताराखंड के चर्चित किसान नेता और बिन्दुखत्ता के संघर्ष के अग्रणी नेता कामरेड बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि स्थानीय विधायक हरीश दुर्गापाल ने राजस्व गाँव बनाने का वायदा जनता से किया था पर जीतने के बाद एक बार भी इस मुद्दे को नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि नगर पालिका बनने के बाद भूमि हस्तांतरण होने से सारी जमीन नजूल हो जाएगी जिसके सर्किल रेट के हिसाब से जमीन का शुल्क अदा करना यहाँ के ग़रीबों के बस की बात नहीं है. ऐसे में ये गरीब अपनी जमीनें भू माफिया को बेचने पर मजबूर होंगे.
eभाकपा(माले) के राज्य स्थायी समिति के सदस्य और नैनीताल जिला सचिव कामरेड कैलाश पाण्डेय ने कहा कि बिन्दुखत्ता के जनता का इतिहास संघर्षों का इतिहास रहा है. यहाँ लोगों ने सडक, बिजली, पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं, राशन कार्ड सब लड़ कर ही पाया है और जमीन पर मालिकाना हक़ भी लोग क्रांतिकारी लाल झंडा थाम कर संघर्ष के बूते हासिल कर लेंगे.
विधानसभा प्रदर्शन में अखिल भारतीय किसान महासभा के भुवन जोशी, आनंद सिंह सिजवाली, भाकपा(माले) के गढ़वाल कमेटी सदस्य अतुल सती, के.पी.चंदोला, पुष्कर दुबडिया, गोविन्द जीना, कमलापति जोशी, बसंती बिष्ट, ललित मटियाली, राजेन्द्र शाह, कमल जोशी, भुवन भट्ट, पारवती देवी, लक्ष्मण सुयाल, मोहनी देवी, गोपाल गड़िया, पुष्कर पांडा, गोविन्द कोरंगा, पुष्पा देवराड़ी, मंगल सिंह कोश्यारी, पुष्प महर, कमला देवी, होशियार सिंह, केशव दत्त फुलेरिया, कुंदन सिंह आदि शामिल थे.
विधानसभा प्रदर्शन के दौरान ही अखिल भारतीय किसान महासभा का एक प्रतिनिधिमंडल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत से मिला. मुख्यमंत्री के समक्ष इस प्रतिनिधिमंडल ने बिन्दुखत्ता को जबरन नगरपालिका बनाए जाने के निर्णय के खिलाफ विरोध जताया. मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि यदि जनता विरोध कर रही है तो सरकार की भी यह जिद नहीं है. सरकार इस विषय पर विचार करेगी.