अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने राज्य की हरीश रावत सरकार को किसान विरोधी करार देते हुए उन पर राज्य में माफिया राज चलाने का आरोप लगाया है. एक संवाददाता सम्मलेन में उन्होंने कहा कि आज बिन्दुखत्ता, रामनगर, सांवल्दे, चोरगलिया, गोलापार, सितारगंज, भाबर आदि क्षेत्रों में किसान अपने सवालों को लेकर आन्दोलनरत है मगर मुख्यमंत्री हरीश रावत राज्य के किसानों की समस्या का समाधान करने के बजाय राज्य में माफिया को पालने-पोसने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस सरकार में भू-माफिया, खनन माफिया और शराब माफिया हावी है जिनमें से कई को दर्जा राज्य मंत्री तक बना दिया गया है और सरकार उन्हीं के इशारे पर सारे निर्णय ले रही. रामनगर में खनन माफिया द्वारा राज्य आन्दोलनकारी प्रभात ध्यानी पर जानलेवा हमला इसका ताजा उदाहरण है जहां सरकार माफिया को बचाने का प्रयास कर रही है.
किसान नेता ने कहा कि हल्द्वानी भाबर क्षेत्र के किसानों की दो प्रमुख मांग हैं- पहला जमरानी बाँध और दूसरा वन भूमि पर बसे गांवों व खत्तों में भूमि हस्तांतरण कर राजस्व गाँव का दर्जा देने की मांग. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में दो विधायक हैं जो काबीना मंत्री भी हैं मगर आज तक किसानों की इन दोनों प्रमुख मांगों पर कोई सार्थक पहल लेने के बजाय ये दोनों मंत्री भू माफिया व खनन माफिया के हित साधने में लगे हैं ताकि गरीब किसानों की जमीनों को छीना जा सके. उन्होंने हल्द्वानी भाबर में बढते अपराधों के लिए भी माफिया को मिल रहे राजनीतिक संक्षण को जिम्मेदार बताया. कामरेड शर्मा ने कहा कि अखिल भारतीय किसान महासभा जल्दी ही इन सभी आंदोलनों के बीच समन्वय स्थापित कराने का प्रयास करेगी ताकि राज्य की इस किसान विरोधी सरकार के खिलाफ किसान संघर्ष की साझा रणनीति बनाई जा सके.
किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि राज्य की हरीश रावत सरकार ने भू माफिया के हितों को ध्यान में रख कर ही बिन्दुखत्ता को जबरन नगर पालिका बनाया है. उन्होंने कहा कि बिन्दुखत्ता नगर पालिका के गठन में राज्य सरकार ने कानून व संविधान के प्रावधानों का खुला उलंघन किया है. यही नहीं जनता की ओर से दर्ज आपत्तियों पर कोई सुनवाई किये बिना चुपचाप नगर पालिका की अधिसूचना जारी कर दी गयी. उन्होंने कहा कि यह सरकार माफिया की सरकार है और बिन्दुखत्ता के ग़रीबों की जमीनों को छीनने के लिए ही स्थानीय विधायक व श्रम मंत्री हरीश दुर्गापाल ने बिन्दुखत्ता को नगर पालिका बनाने का षडयंत्र रचा है. उन्होंने कहा कि पूर्णतः ग्रामीण परिवेश और बिखरी बसासत वाले बिन्दुखत्ता में 98 प्रतिशत लोग खेती व पशुपालन से अपनी आजीविका चलाते हैं. पिछले चालीस साल से राजस्व गाँव की मांग पर आन्दोलन कर रहे बिन्दुखत्ता वासियों के साथ स्थानीय विधायक व काबीना मंत्री हरीश दुर्गापाल ने भू माफिया से मिलीभगत कर धोखा किया है . उन्होंने कहा कि नगर पालिका हटाए बिना बिन्दुखत्ता के किसानों को उनकी जमीन का मालिकाना हक़ नहीं मिल सकता है.
कामरेड शर्मा ने बताया कि उच्च न्यायालय में दायर हमारी याचिका को कल न्यायालय ने स्वीकार कर राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब माँगा है कि सरकार ने जनता की आपत्तियों पर सुनवाई किये बिना नगरपालिका का गठन कैसे कर दिया? उन्होंने कहा कि न्यायालय द्वारा दिए गए समय की अवधि तक हमने अपने आन्दोलन को स्थगित किया है और नगर पालिका वापस न होने की स्थिति में अगली बार हजारों किसान श्रम मंत्री के घर का घेराव करेंगे. उन्होंने आन्दोलन में महिलाओं व नौजवानों की बढ़ती भागीदारी को आन्दोलन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए सबका आभार जताया और संघर्ष को जीत तक पहुंचाने के लिए संघर्ष जारी रखने का आह्वान किया. कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा ने इस आन्दोलन को समर्थन देने वाले सभी दलों, संगठनों, व्यक्तियों और मीडिया का किसान महासभा व बिन्दुखता के किसानों की और से आभार जताया.
उन्होंने सांसद व भाजपा नेता भगत सिंह कोश्यारी के बयान को भ्रामक व तत्थ्यहीन बताते हुए कहा कि कोश्यारी अपने कार्यकर्ताओं से झूठ बोल रहे हैं कि उनकी सरकार ने बिन्दुखता को राजस्व गाँव बनाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था जिसे कांग्रेस की सरकार ने लौटा दिया. उन्होंने कहा कि कोश्यारी जी के मुख्यमत्री काल में केंद्र में अटल बिहारी बाजपेई की सरकार थी. यही नहीं राजस्व गाँव का निर्माण भी राज्य सरकार करती है न की केंद्र सरकार. राज्य सरकार को तो बिन्दुखत्ता के वन भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव केंद्र को भेजना है जिसे भाजपा-कांग्रेस किसी भी सरकार ने आज तक नही भेजा है. उन्होंने कहा कि भाजपा अगर चाहती तो नेता प्रतिपक्ष सदन में बिन्दुखत्ता नगर पालिका को वापस करने का प्रस्ताव ला सकते थे मगर उन्होंने उलटे इसके लिए सरकार को बधाई दी. असल में भाजपा का राज्य नेतृत्व भी भूमाफिया का संरक्षक है और बिन्दुखत्ता नगर पालिका का समर्थक है.
संवाददाता सम्मलेन में किसान महासभा के वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी, भाकपा (माले) के जिला सचिव कैलाश पाण्डेय भी शामिल थे.