मोदी सरकार के लिए किसानों की आत्महत्या से अधिक महत्वपूर्ण है ‘भूमि अधिग्रहण अध्यादेश’

अखिल भारतीय किसान महासभा के कार्यकर्ताओं ने आज फसलों की बरबादी का मुआवजा न मिलने के कारण हो रही किसानों की आत्महत्याओं और मोदी सरकार के दूसरे भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ अपना रोष जाहिर करते हुए केंद्र व राज्य सरकार का पुतला फूंका. आज यहाँ कार रोड चौराहे पर किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा के नेतृत्व में एकत्र हुए दर्जनों कार्यकर्ताओं ने देश भर में आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहे किसानों की मौत के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराते हुए जम कर नारेबाजी की.

इस अवसर पर कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि आज समूचे उत्तर भारत में बेमौसम बारिश के चलते किसानों की फसलें चौपट हो गई हैं और कर्ज में डूबे दर्जनों किसान रोज आत्म हत्या के लिए मजबूर हो रहे हैं. मगर केंद्र की मोदी सरकार किसानों को कोई राहत व मुआवजा देने के बजाय उल्टे फिर से नया भूमि अधिग्रहण अध्यादेश ले आई है ताकि किसानों की जमीनों को कारपोरेट आसानी से लूट सकें. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने भी किसानों के लिए अब तक बर्बाद फसलों के मुआवजे का ऐलान नहीं किया है जबकि पहाड़ से लेकर मैदान तक किसानों फसलें 70 प्रतिशत तक चौपट हो गयी हैं. लगता है प्रदेश की हरीश रावत सरकार भी किसानों की आत्महत्या का इंतज़ार कर रही है. उन्होंने अब तक चली आ रही फसल मुआवजे की नीति को किसान विरोधी बताते हुए उसमें व्यापक बदलाव की मांग की ताकि किसानों को तत्काल राहत व मुआवजा बांट कर उन्हें आत्महत्या जैसे कदम उठाने से रोका जा सके.

कार्यक्रम में बिशन दत्त जोशी, पुष्कर पांडा, प्रभात पाल, आनंद सिजवाली, चिंतामणी जोशी, शेरसिंह कोरंगा, बाग़ सिंह, दीवान सिंह, शंकर दत्त जोशी, कुंवर सिंह चौहान, प्रवीन सिंह दानू, विपिन सिंह बोरा, कमलापति जोशी, मीना मेहता, विमला रौथान, श्याम सिंह बिष्ट, गोविन्द सिंह कोरंगा, स्वरूपसिंह दानू, पुष्कर दुबडिया, राजेन्द्र शाह, भाष्कर कापडी, हरीश गिरि गोस्वामी, पानसिंह कोरंगा, गोविन्द जीना, गोपालराम, बिशन सिंह, नारायण सिंह, तिलाग सिंह आदि प्रमुख रूप से शामिल थे.

Back-to-previous-article
Top