एक्टू का प्रथम उत्तराखण्ड राज्य सम्मेलन सम्पन्न

ऑल इण्डिया सेन्ट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एक्टू) का प्रथम उत्तराखण्ड राज्य सम्मेलन 12 अप्रैल को हल्द्वानी के नगर निगम हॉल में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन का उद्घाटन सत्र मजदूर वर्ग और जन आंदोलनों के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए शुरू हुआ। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए भाकपा (माले) के उत्तराखण्ड राज्य सचिव कॉमरेड राजेन्द्र प्रथोली ने कहा कि मोदी सरकार के अच्छे दिन का मतलब बड़े कॉरपोरेट 2015_04_12_aicctu_photo_3घरानों को लूट की खुली छूट और मजदूर वर्ग के लिये और भी मुश्किल हालात का पैदा करना है। श्रम -कानूनों में बेशर्मी से पूंजीपतियों के पक्ष में प्रस्तावित संशोधनों ने केन्द्र सरकार का मजदूर-कामगार विरोधी चरित्र उजागर कर दिया है। केन्द्र की मोदी सरकार मजदूर-किसान विरोधी फैसले ले रही है। मजदूर बेहाल है और किसान आत्महत्या पर मजबूर है। उन्होंने कहा कि एक्टू का राज्य सम्मेलन ऐसे वक्त में हो रहा है जब एक तरफ सरकारों की मजदूर-किसान विरोधी व कॉरपोरेट समर्थक नीतियां धडल्ले से लागू हो रही हैं वहीं दूसरी ओर देश के मजदूरों और किसानों के व्यापक आंदोलन भी गति पकड़ रहे हैं। इन आंदोलनों का नेतृत्व करते हुए मजदूर वर्ग को क्रांति की दिशा में देश को आगे ले जाना होगा।

सत्र को सम्बोधित करते हुए सम्मेलन के केन्द्रीय पर्यवेक्षक कॉमरेड अनिल वर्मा ने कहा कि, ‘‘क्रांतिकारी ट्रेड यूनियन आंदोलन ही देश के मजदूर आंदोलन को दिशा देने में सक्षम है। पूरे देश मे मजदूर वर्ग में गुस्सा पनप रहा है। ‘पूरा वक्ती काम और सबसे कम दाम‘ यह देश के पूंजीपति वर्ग और सरकारों की नीति बन गयी है। इसको बेनकाब करते हुए मजदूर आंदोलन को समाज के अन्य उत्पीडि़त तबकों को भी साथ लेकर बड़े आंदोलन में जाना होगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार एक ओर किसानो की जमीन हड़पने का कानून बना रही है और दूसरी ओर मजदूर कानूनों को कमजोर कर रही है। ऐसे में किसान वर्ग ही मजदूरों का सबसे सच्चा साथी है। जिनकी एकता से ही कॉरपोरेट घरानों और पूंजीपतियों के खिलाफ लड़ाई जीती जा सकेगी।‘‘

2015_04_12_aicctu_photo_1एक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कॉमरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि ‘‘देश में एक बार फिर से कम्पनीराज लाने की शुरूआत हो गयी है, भूमि लूट और कम्पनी राज से मजदूर-किसानों की कमर तोड़ी जा रही है। किसानों और मजदूरों को संगठित न होने देने के लिए साम्प्रदायिक माहौल तैयार किया जा रहा है। मजदूर-किसान वर्ग की व्यापक एकता ही इस कम्पनी राज को पलटने का माद्दा रखती है। ‘‘उन्होंने कहा कि ‘‘उत्तराखण्ड राज्य में सरकार मजदूरों का शोषण कर रही है। श्रम मंत्री मजदूरों की समस्या सुनने के बजाय फैक्ट्री मालिकों का काम करते हैं। सिडकुल व अन्य औद्योगिक संस्थानों में एक्टू से सम्बद्ध यूनियनों को न बनने देने की पूरी साजिश राज्य सरकार व फैक्ट्री मालिक कर रहे हैं। आशा, आंगनबाड़ी व भोजनमाता के रूप में काम करने वाली हजारों महिला कामगारों की स्थिति बंधुवा मजदूरों जैसी है। सरकारी विभागों में गैरकानूनी व फर्जी ठेका प्रथा को चलाने के लिए उपनल का गठन करके नियमित व कोर जॉब में हजारों कर्मचारियों का हक छीना जा रहा है। निर्माण मजदूरों के कल्याण के लिए गठित बोर्ड में फर्जी श्रमिकों का पंजीकरण श्रम मंत्री के इशारों पर किया जा रहा है और बोर्ड के कोष को दूसरे कामों में लगाकर निर्माण मजदूरों का हक राज्य में छीना जा रहा है।

उदघाटन सत्र को एक्टू के राष्ट्रीय सचिव वी.के.एस. गौतम, किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरूषोत्तम शर्मा, बैंक इम्प्लायज यूनियन के एन.सी. खुल्बे, ओ.एन.जी.सी. वर्कर्स की ओर से अनिल कुमार आदि ने सम्बोधित किया।

2015_04_12_aicctu_photo_4सांगठनिक सत्र की शुरूआत कॉमरेड के.के. बोरा द्वारा प्रस्तुत मसौदे को पढ़कर की गयी। जिसमें पूरे देश के राजनीतिक हालात, मजदूर वर्ग के हालात और चुनौती, उत्तराखण्ड में एक्टू की भूमिका व कार्यभार पर चर्चा की गयी। इसके पश्चात 23 सदस्यीय राज्य काउंसिल और 9 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। कॉमरेड निशान सिंह को प्रदेश अध्यक्ष, के.के. बोरा को राज्य सचिव, के.पी. चंदोला, दीपा पाण्डेय व कमला कुंजवाल को राज्य उपाध्यक्ष चुना गया। कमेटी में राजा बहुगुणा, कैलाश पाण्डेय, पंकज तिवारी चुने गये। काउंसिल में दिनेश तिवारी, महेश तिवारी, उदय सिंह, श्याम सिंह, ललितेश प्रसाद, शमा परवीन, रीता कश्यप, इंद्रा देउपा, मुबारक शाह, पंकज तिवारी आदि साथी शामिल किये गये। कमेटी ने न्यूनतम वेतन 20 हजार रूपये मासिक करने, ठेकेदारी प्रथा खत्म करने, आशा-आंगनबाड़ी-भोजनमाता को राज्य कर्मचारी घोषित करने, ठेका कर्मियों को नियमित करने, लठ्ठा मजदूरों को स्थायी करने, बीएसएनएल-सीमैप-एनएचपीसी-ओएनजीसी में श्रम कानूनों का पालन कराने, श्रम कानूनों को कमजोर करने वाले श्रम सुधारों को वापस लेने आदि मांगों के प्रस्ताव लिये।

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