आज पटना के गेट पब्लिक लाइब्ररी में इंसाफ मंच के स्थापना सम्मेलन को संबोधित करते हुए माले महासचिव ने कहा कि राजनीति में सत्ताधारियों के हिसाब से एजेंडा तय नहीं होंगे, बल्कि अब आम अवाम अपने मुद्दों व एजेंडों को तय करेगी. ‘सबका साथ-सबका विकास’ का नारा हमारे लिए धोखे के सिवा कुछ नही है. हमारे लिए आवास, भोजन, जमीन, रोजगार, अमन-शांति ये सारे भी मुद्दे हैं और ये सारे हमारी लड़ाई के एजेंडा है.
बहुमत से केंद्र में आई भाजपा की सरकार ने जहां एक तरफ 90 के दशक में शुरू आर्थिक नीतियों को और तेज कर दिया है, अध्यादेशों के जरिए सरकार चलाने लगी है और जनता से किए वादों को पूरा करने की जगह मुट्ठी भर लोगों का हित साधने लगी है, वहीं दूसरी ओर आरएसएस ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है. आरएसएस की कार्रवाइयों को केंद्र सरकार खुलकर बढ़ावा दे रही है. अमरीका से परमाणु समझौता कर रही है और न केवल देश की संप्रभुता को गिरवी रख दिया है बल्कि आम लोगो का जीवन मे भी खतरे मे डाल दिया है. लेकिन दिल्ली की जनता ने विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार को बता दिया कि उसकी करनी जनता को बिलकुल रास नहीं आ रही है. आज जो दिल्ली का मूड है वह कल पूरे देश का मूड होने वाला है.
उन्होंने कहा कि आतंकवाद के नाम पर हमारे नौजवानों को निशाना बनाया गया. बिहार में पिछले दिनों मुजफ्फरपुर में भागलपुर दुहराने की कोशिश की गयी. एनआइए कहीं पर छापा मारकर मुस्ल्मि नौजवानों को उठा ले जाती है, उन लोगों की जिंदगी पूरी तरह बर्बाद कर दी जा रही है. न्यायालय भी इसी का हिस्सा बन कर रह गया है. ऐसी स्थिति में अकलियतों-दलितों और समाज के कमजोर वर्ग के लोगों के हक में इंसाफ मंच ने आवाज उठायी है. आज वह अपना राज्यस्तरीय स्थापना सम्मेलन कर रही है. इस मौके पर बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि 14-16 मार्च को दिल्ली में विभिन्न जनांदोलनों को समन्वित करते हुए एआइपीएफ का गठन होने वाला है, उस मौके पर इंसाफ मंच भी सम्मेलन व जनसंसद में शामिल हो.
उन्होंने बिहार के संदर्भ में कहा कि पहले नीतीश कुमार ने जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया, अब उन्हें हटाने पर तुले हैं. गरीबों-दलितों के कई जनसंहारों को अंजाम देने वाले हत्यारों की संरक्षक भाजपा भी आज मांझी के पक्ष में खड़ी है. वह भाजपा महादलितों की समर्थक बनने की कोशिश कर रही है, जिसने रणवीरों के सरगना बरमेश्वर सिंह को गांधी बतलाया था. ये तमाम चीजें साफ कर देती हैं कि महादलितों के प्रति भाजपा और जदयू का रूख क्या है?
इंकलाबी मुस्लिम कांफ्रेस के राष्ट्रीय संयोजक मो. सलीम ने कहा कि जब आज फासीवादी ताकतें देश में अपनी तानाशाही चला रही है, सेक्यूलरिज्म व जम्हूरियत खतरे में है, ऐसी स्थिति में इंसाफ मंच ने बिहार में जो लड़ाइयां लड़ी हैं, वह स्वागत योग्य है. भाजपा की सरकार देश के सेकुलर मिजाज को समाप्त कर मजहबी नफरत फैलाकर अपना राज चलाना चाहती है. अमरीका व कुछ लोगों के लिए देश की आजादी को खतरे में डाल रही है, ऐसी ताकतों के मंसूबे को हम कभी कामयाब नहीं होने देंगे.
इसके अलावा स्थापना सम्मेलन को प्रो. जमील साहेब, अनवर हुसैन,इस्लामुद्दीन, नेयाज अहमद, शाहिद मुजफ्फरपुरी, मनोज मंजिल आदि नेताओं ने संबोधित किया, जबकि संचालन सूरज कुमार सिंह ने किया.उन्होंने कहा कि यह समदुाय अब भली भंाति समझ चुका है कि इंसाफ के सवाल पर सभी सत्ताधारी पार्टियां चुप्पी साध लेती हैं चाहे वह आतंकवाद के नाम पर मुस्लिम नौजवानों की प्रताड़ना का सवाल हो या फिर बाथे-बथानी के जनसंहार पीडि़तों के इंसाफ का मामला हो. इसलिए इंसाफ मंच के प्रति सूबे बिहार के अकलियतों व दलितों में आशा की उम्मीद पैदा हुई है और वे उसे आशा की रौशनी के रूपर में देख रहे हैं. इंसाफ मंच एक तहरीक है जो आने वाले समय में इंसाफ की आवाज बुलंद करेगा.
अंत में सर्वसम्मति से आंदोलन के राज्यव्यापी स्वरूप प्रदान करने के लिए 57 सदस्यों की राज्य परिषद् का गठन किया गया. करने के लिए गठित इंसाफ मंच के 1 वर्ष पूरा होने के उपरांत कल पहला 15 फरवरी को बिहार राज्य सम्मेलन गर्दनीबाग स्थित गेट पब्लिक लाइब्रेरी में होगा. इस पहले सम्मेलन की तैयारी जोर-शोर से चल रही है और कल सुबह से ही लोगों का पटना पहुंचना आरंभ हो जाएगा.मो. इफेतखर आलम को संगठन का राज्य अध्यक्ष चुना गया. 4 सचिव और 9 उपाध्यक्ष का भी चयन किया गया. सूरज कुमार सिंह संगठन सचिव चुने गए