नई दिल्ली, 31 अगस्त।
भाकपा(माले) प्रख्यात कन्नड़ विद्वान व हम्पी विश्वविदृयालय के पूर्व उपकुलपति एम.एम. कलबुर्गी की हत्या की कड़ी भर्त्सना करती है. प्रो. कलबुर्गी की कल धारवाड. में उनके घर में हत्या कर दी गई थी.
सतहत्तर वर्षीय प्रो. कलबुर्गी अपने तर्कवादी विचारों और दिवंगत यू.आर. अनंतमूर्ति का समर्थन करने के कारण बजरंग दल जैसे संघी संगठनों के निशाने पर थे. नरेन्द्र दाभोलकर और गोविन्द पान्सरे के बाद कलबुर्गी तीसरे तर्कवादी, अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता हैं जिनकी हत्या हिन्दुत्ववादी संगठनों की धमकियों के बाद हुई है.
यहां तक कि एक स्थानीय बजरंग दल के नेता ने तो प्रो कलबुर्गी की हत्या पर खुशी जाहिर करते हुए एक और तर्कवादी कार्यकर्ता केएस भगवान की हत्या की भी धमकी दी है.
हिन्दुत्ववादी उपद्रवियों के खिलाफ आतंक के कई मामलों में मुकदमों को कमजोर कर रही मोदी सरकार के आने के बाद संघी दहशतगर्दों के हौसले लगातार बढ़ रहे हैं. महाराष्ट्र की भाजपा सरकार दाभोलकर हत्या की जांच के लिए सीबीआई को जरुरी स्टाफ तक उपलब्ध नहीं करवा रही है. मोदी सरकार और उसकी जांच एजेन्सियां तीस्ता सीतलवाद जैसे साम्प्रदायिकता विरोधी कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न कर रही हैं. सोशल मीडिया पर भी साम्प्रदायिकता विरोधी और प्रगतिशील विचारों वाले कार्यकर्ताओं को संघी कैडरों की धमकियां लगातार मिलती रहती हैं.
भाकपा(माले) की मांग है कि प्रो. कलबुर्गी की हत्या की बिना देर किये जांच कराई जाय और हत्यारों को दण्डित किया जाय, और साथ ही संघी दहशतगर्द संगठनों की फंडिग और उनकी ट्रेनिंग आदि की जांच विस्तार से कराने के लिए कदम उठाये जायं तथा तमाम संघी आतंकी मुकदमों को एन.आई.ए. द्वारा कमजोर करने की साजिशों को रोकने के लिए न्यायपालिका की तत्काल पहल हो.