किसान महासभा और खेग्रामस द्वारा धरना आयोजित किया गया. पूरे बिहार के विभिन्न जिलों से किसान, खेत मजदूर व अन्य ग्रामीण मजदूर समेत तमाम तरह के ग्रामीण गरीब अपनी मांगों को लेकर राजधानी पटना पहुंचे और मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन द्वारा अपनी मांगे रखीं. गांव और गांव के गरीबों के सवालों के प्रति विधानसभा का ध्यान आकृष्ट करते हुए सरकार को आगाह किया कि जनादेश का सम्मान होना चाहिए.
मांग पत्र में कहा गया कि बिहार के किसान और बटाईदारों की खेती पिछले तीन वर्षों से कम बारिश होने के चलते प्रभावित हुई हैं. पिछले वर्ष के धान खरीद के पैसे नहीं मिले और इस वर्ष तो नहीं के बराबर धान की खरीद हुई है. और फिर आपने इस साल बोनस भी नहीं दिया है. खाद्य सुरक्षा कानून बदहाल है और आपकी सरकार मोदी सरकार की नीति के तहत अनाज के बदले पैसे योजना की शुरूआत कर दी है. यह जनविरोधी कदम बिहार को भयानक भूखमरी की ओर धकेल देगी. ग्रामीण सिंचाई, वास-आवास, शिक्षा-स्वास्थ्य योजनायें बेपटरी हैं.
मुख्यमंत्री को दिये गये मांग पत्र की मुख्य मांगे हैं –
1. बिहार में 60 फीसदी से ज्यादा खेती बर्टादारों के जरिए हो रही है, लेकिन बटाईदारी के इस पैटर्न को निर्देशित करने का कोई कानून राज्य में नहीं है. इसलिए हमारी मांग है कि बटाईदारों के पंजीकरण, बटाई की शर्तों-सुविधाओं को निर्देशित करने वाला बटाईदारी कानून बनाया जाए.
2. नहरों-नलकूपों की जर्जर स्थिति को देखते हुए सिंचाई पुनरूद्धार कार्यक्रम चलाए जांए. सरकारी व निजी नलकूपों का अनिवार्य विद्युतीकरण हो. सोन नहर में बिहार के हिस्से का पानी अबाध रूप से मिले, इसको लेकर बिहार सरकार तत्परता दिखाए. कोशी-गंडक नहरों का बेहतर प्रबंध हो. 40-50 साल पुरानी बागमती परियोजना की पुनर्समीक्षा हो और गैर जरूरी तटबंध बनाने पर रोक लगे.
3. तमाम तरह के कृषि उत्पादों की अनिवार्य खरीद लागत खर्च के 50 प्रतिशत लाभांश के आधार पर हो. सरकारी कृषि की स्थापना, कोल्डस्टोरेज का व्यापक पैमाने पर निर्माण किया जाए.
4. नकली बीज कंपनियों के विपणन पर रोक, फसल क्षति मुआवजा और बीमा लाभ की पारदर्शी व सरल व्यवस्था की जाए.
5. दुग्ध उत्पादन और पशुचारा पर विशेष सब्सिडी की वयवस्था की जाए.
6. सभी गरीबों को खाद्य सुरक्षा का लाभ देना और अनाज के बदले पैसा योजना की संपूर्णता में वापसी.
7. सभी भूमिहीनों-गरीबों के लिए वास भूमि और इंदिरा आवास की गारंटी करना.
8. चंपारण और पूर्णिया में भूमि के बड़े संकेन्द्रण को देखते हुए विशेष लैंड ट्रीब्यून बनाना तथा अधिशेष भूमि भूमिहीनों के बीच वितरित करना. तमाम शिकमीदारों को पुस्तैनी शिकमीदार बनाने का विशेष कानूनी पहल करना.
9. पर्चाधारियों के दखल-कब्जा की गारंटी तथा गरीबों के दखल कब्जे वाली जमीन पर कायमी हक दिलाने की विशेष पहल.
10. मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़कर मनरेगा मजदूरों को किसानों के खेत में काम और 300 रु. प्रतिदिन मजदूरी की गारंटी.
11. धान अधिप्राप्ति के नियमों केा सरल बनाकर सीधे बटाईदारों-किसानों से धान खरीद की गारंटी.
12. सत्र 2015-16 में गन्ना उत्पादक किसानों को 5 रु. प्रति क्विंटल अनुदान व सत्र 2016-17 में 5 रु. प्रति क्विंटल की मूल्य वृद्धि को लागू किया जाए और गन्ना की कीमत 300 रु. प्रति क्विंटल निर्धारित की जाए.