गरीबों के पक्का मकान के सवाल पर यदि हमारी सरकारें गंभीर होतीं, तो नहीं होता औरंगाबाद का दर्दनाक अगलगी हादसा: कुणाल.

गरीबों के पक्का मकान के सवाल पर यदि हमारी सरकारें गंभीर होतीं, तो नहीं होता औरंगाबाद का दर्दनाक अगलगी हादसा: कुणाल.
राज्य सरकार का आपदा प्रबंधन एक बार फिर साबित हुआ फ्लाॅप. सभी गरीबों को पक्का मकान व पंचायत स्तर पर दमकल की व्यवस्था करे सरकार.

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अगलगी की लगातार बढ़ती घटनायें बेहद दुखद, विधायक सुदामा प्रसाद के नेतृत्व में माले जांच टीम ने किया घटनास्थल का दौरा.
पटना 23 अप्रैल 2016
भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने औरंगाबाद जिले के दाउदनगर अनुमंडल के तरार टोले हरिनगर में भयानक अगलगी की घटना को बेहद दुखद बताया है और इस दुखद कांड में एक ही परिवार के मारे गये 12 लोगों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि मृतक एक ही परिवार के हैं और उस परिवार के मुखिया जटा राम व उनकी पत्नी शांति कुंवर लंबे समय से हमारी पार्टी के सदस्य रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि प्रत्येक साल गर्मी में विभिन्न कारणों से गरीबों की झोपड़ियों में आग लगती है. इस साल भी अगलगी की लगातार घटनायें घट रही हैं और लोगों की मौतें हो रही हैं. अकेले औरंगाबाद में अब तक 350 से अधिक ऐसी घटनायें घट चुकी हैं. चूंकि गरीबों के पास घर के नाम पर फूस की झोपड़ियां हैं, इसलिए वे आसानी से आग की लपेट में आ जाती हैं. लेकिन ऐसी गंभीर समस्याओं के प्रति हमारी सरकार का रवैया बेहद संवेदनहीन रहा है, जिसका नतीजा है औरंगाबाद का दर्दनाक हादसा.
उन्होंने कहा कि यदि अब तक सभी गरीबों के पक्के मकान बन गये होते तो इस तरह के भयानक हादसा को टाला जा सकता था. लेकिन केंद्र की सरकार हो या फिर बिहार की नीतीश सरकार, ये दोनों सरकारें गरीबों का नाम लेते तो नहीं अघाती लेकिन गरीबों के जरूरी सवालों पर एक शब्द तक नहीं बोलती. आए दिन मोदी जी खुद को चाय बेचने वाला बताते रहते हैं और नीतीश कुमार राष्ट्रीय राजनीति में दखल के दावे में मशगूल हैं. लेकिन इंदिरा आवास योजना के तहत सभी गरीबों को आवास मिल सके, यह इन लोगों की प्राथमिकताओं में कहीं नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि आधी से अधिक आबादी के पास पक्का मकान नहीं है. औरंगाबाद की अगलगी घटना ने एक बार फिर से इस सच का सामने लाया है कि सरकार का आपदा प्रबंधन पूरी तरह फेल है. जो दमकल आए थे, उनमें से एक में पानी ही नहीं था और दूसरी की पाइप फटी हुई थी. ऐसी स्थिति में आग पर काबू पाना कहीं से संभव नहीं रह गया था. साथ ही, यह सच्चाई भी सामने आई कि दाउदनगर अनुमंडल में दमकल तो 3 हैं, लेकिन गाड़ी चलाने वाला ड्राइवर महज एक है.
उन्होंने कहा कि इस तरह के हादसे से निबटने में पूरी तरह असफल नीतीश सरकार को थोथी जुमलेबाजी की बजाए इस दिशा में तत्काल प्रयास करने चाहिए. हमारी मांग है कि इंदिरा आवास योजना को शीघ्रता व संपूर्णता में लागू किया जाए ताकि हरेक गरीब परिवार के पास पक्का मकान हो सके और अगलगी जैसी घटनाओं से बचा जा सके. साथ ही आपदा प्रबंधन विभाग को सरकार मजबूत बनाये और पंचायत स्तर पर पर्याप्त संख्या में दमकल और अन्य वाहनों की व्यवस्था करे. ताकि सही समय पर राहत बचाव कार्य हो सके.
माले राज्य सचिव ने यह भी मांग की है कि सभी मृतकों के लिए 10 लाख का मुआवजा व सरकारी नौकरी का भी प्रबंध किया जाए.
इसके पूर्व आज सुबह माले विधायक सुदामा प्रसाद के नेतृत्व में एक जांच टीम ने घटना स्थल का दौरा किया. इस टीम में औरंगाबाद जिला सचिव जनार्दन प्रसाद, माले नेता राजनाथ पासवान, दिलराज पासवान, मदन जी के अलावा अन्य वरिष्ठ माले नेता भी शामिल थे. इस टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर पीड़ितों से मुलाकात की और उनके प्रति संवेदना जाहिर की.

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