भाकपा-माले राज्य स्थायी समिति की संपन्न एक दिवसीय बैठक में कृषि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश 2014 तथा मनरेगा, खाद्य सुरक्षा व बजट में किए गए अन्य सोशल सेक्टर में कटौती के खिलाफ पार्टी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे आंदोलन के तहत बिहार में ग्राम सभाओं के जरिए चल रहे आंदोलन की समीक्षा की गयी.
बैठक के फैसलों की जानकारी देते हुए माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा कंपनी शासन की तर्ज पर शासन चलाने के खिलाफ गांव-गांव में यह अभियान चलाया जा रहा है. भूमि अधिग्रहण व अन्य सवालों को लेकर हजारों की तादाद में ग्राम सभाओं से भारत के राष्ट्रपति व लोकसभा अध्यक्ष के नाम सेे पारित प्रस्ताव को 16 मार्च को दिल्ली में आयोजित जनसंसद में जमा किया जाएगा. बैठक में अखिल भारतीय खेत मजदूर सभा की सदस्यता को और तेज करने पर भी विचार विमर्श किया गया.
बैठक में पोलित ब्यूरो सदस्य अमर, धीरेन्द्र झा, केंद्रीय कमिटी सदस्य रामजतन शर्मा, नंदकिशोर प्रसाद, रामेश्वर प्रसाद, राजाराम सिंह, मीना तिवारी सरोज चैबे, कृष्णेदव यादव, षषि यादव, पूर्व विधायक अरूण सिंह, संतोष सहर, महानंद, जवाहर लाल नेहरू सहित अन्य लोग उपस्थित थे.
माले राज्य सचिव ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद देश के किसानों ने कुछेक अधिकार हासिल किए थे और भूमि अधिग्रहण कानून 1894 की जगह भूमि अधिग्रहण कानून 2013 बनाना गया था. लेकिन मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद अध्यादेश लाकर भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के उस प्रावधान को खारिज करना चाहती है, जिसमें जमीन के अधिग्रहण के लिए पंचायतों के 70 से 80 प्रतिशत किसानों की सहमति जरूरी है. इस अध्यादेश के जरिए किसानों की मर्जी के बगैर उनकी कृषि भूमि अधिग्रहित कर लेने का अधिकार न सिर्फ सरकार को हो जाएगा बल्कि सभी काॅरपोरेटों को भी यह अधिकार मिल जाएगा.
उन्होंने आगे कहा कि लगातार भूमि लूट व विकास योजनाओं के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों के नष्ट होते जाने की वजह से गंभीर खाद्यान्न संकट की ओर देश बढ़ रहा है, जो सबसे गंभीर चिंता का विषय है, लेकिन मोदी सरकार इसमें भी कटौती कर रही है. अब तक 59 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि विकास योजनाओं के नाम पर बलिवेदी पर चढ़ा दिया गया है.
उन्होंने आगे कहा कि यह भी तय किया है कि अध्यादेश के खिलाफ महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा जाएगा और 16 मार्च 2015 को दिल्ली में आयोजित जन-संसद में बिहार से हजारों लोगों की भागीदारी होगी.
बैठक में मोदी सरकार के पहले पूर्ण बजट को भी पूरी तरह गरीबों व आम अवाम के खिलाफ बताया है. इसमें मनरेगा, खाद्य सुरक्षा व अन्य सोशल सेक्टर के मद में भारी कटौती की गयी है, जबकि कारपोरेट घरानों को कई तरह की छूटें दी गयी है. जनता से मोदी सरकार के विश्वासघात को भी अभियान में मुद्दा बनाया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश जी आज भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन की बात कर रहे हैं, लेकिन बिहार में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ लड़ते किसानों पर लाठियां चलाने व उन्हें जेल में डालकर पूंजीपतियों के हाथों किसानों की जमीन लुटवाई ही है. नीतीश जी का दिखावा नहीं चलने वाला है.
पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. धीरेन्द्र झा ने कहा कि ख्ेामस का सदस्यता अभियान जोरों पर है. अब तक बिहार में 10 लाख से उपर खेत मजदूरों को संगटन से जोड़ा गया है, कुल 23 लाख सदस्यता का लक्ष्य है.