नई दिल्ली, 2 सितम्बर
दादरी के रामगढ़ गांव के भाकपा [माले] के दलित कार्यकर्ताओं, ब्रह्म जाटव, विकास और भुवनेश को दादरी, गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश पुलिस ने फर्जी आरोपों में हिरासत में ले लिया है. उनको पुलिस ने उनके घरों से उठा लिया और उनपर बगैर किसी सबूत प्रभावशाली समुदाय के दो लोगों पर गोली चलाने का आरोप मढ़ दिया.
रामगढ़ गांव के दलित 2012 से ही उत्पीड़न, हिंसा और झूठे केस-मुकदमों के शिकार हैं जब उन्होंने पहली बार अपनी पंचायत की जमीन पर अपना दावा पेश किया था. उस समय के ग्राम प्रधान कुलदीप भाटी और उसके गुण्डों ने तलवारों व कुल्हाडि़यों से दलित समुदाय के लोगों पर हमला किया था. एक युवा दलित टिंकू राम को तो जबर्दस्ती रेल की पटरी पर डाल दिया गया था जिसमें उसकी दोनों टांगें कट गईं थीं. उस समय भी कई युवा दलित कार्यकर्ताओं को झूठे मुकदमों में महीनों जेल काटनी पड़ी थी.
अभी भी टिंकू राम पर हमले का मुकदमा जिला न्यायालय में लटका हुआ है क्यों कि हमलावर पुलिस से मिलीभगत करके तरह-तरह के बहानों से उसे आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं. अभी पिछली 31 अगस्त को उसी केस में टिंकू राम के पक्ष में गवाहियां होनी थीं लेकिन वे दबंग अभियुक्तों की मांग पर टाल दी गईं. आज दो दिन बाद पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है वे वही लोग हैं जिनको गवाहियां देनी थीं, स्पष्ट है कि इस टिंकू राम के केस को कमजोर करने के लिए ही इन दलित कार्यकर्ताओं को फंसाने के लिए आज गिरफ्तारियां की गई हैं.
इसी गांव से पिछले पंचायत चुनाव में दलित प्रत्याशी कामरेड मंजू पहली बार ग्राम प्रधान का चुनाव जीती हैं. कामरेड मंजू के पति कामरेड ब्रह्म जाटव, टिंकू राम के भाई भुवनेश और चचेरे भाई विकास को फंसाने का मतलब यह भी है कि पंचायत चुनाव में पहली बार एक दलित प्रत्याशी को मिली जीत दबंगो को बर्दास्त नहीं हो रही है.
भाकपा(माले) इन तीनों युवा कार्यकर्ताओं की बिना शर्त तत्काल रिहाई और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दलितों के उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगाने की मांग करती है. दलित ग्रामीण और भाकपा(माले) कार्यकर्ता फिलहाल अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी के खिलाफ व अपने साथियों की रिहाई की मांग को लेकर दादरी थाने का घेराव कर रहे हैं.
– कविता कृष्णन
भाकपा(माले)