भाकपा-माले ने बिहार में आग लगने की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है. पार्टी ने कहा है कि प्रत्येक साल गर्मी में विभिन्न कारणों से गरीबों की झोपड़ियों में आग लगती है. इस साल तो आग लगने की लगातार घटनाओं से अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है. चूंकि गरीबों के पास घर के नाम पर फूस की झोपड़ियां हैं, इसलिए वे आसानी से आग की लपेट में आ जाती हैं. लेकिन ऐसी गंभीर समस्याओं के प्रति हमारी सरकार का रवैया बेहद संवेदनहीन रहा है, जिसका नतीजा है इस तरह की घटनायें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं.
यदि अब तक सभी गरीबों के पक्के मकान बन गये होते तो इस तरह के भयानक हादसों को टाला जा सकता था. लेकिन केंद्र की सरकार हो या फिर बिहार की नीतीश सरकार, ये दोनों सरकारें गरीबों का नाम लेते तो नहीं अघाती लेकिन गरीबों के जरूरी सवालों पर एक शब्द तक नहीं बोलती. आए दिन मोदी जी खुद को चाय बेचने वाला बताते रहते हैं और नीतीश कुमार राष्ट्रीय राजनीति में दखल के दावे में मशगूल हैं. लेकिन इंदिरा आवास योजना के तहत सभी गरीबों को आवास मिल सके, यह इन लोगों की प्राथमिकताओं में कहीं नहीं है.
आधी से अधिक आबादी के पास पक्का मकान नहीं है. आग लगने की घटनाओं ने एक बार फिर से इस सच का सामने लाया है कि सरकार का आपदा प्रबंधन पूरी तरह फेल है. जिलों में दमकल नहीं हैं, दमकल हैं तो ड्राइवर नहीं हैं. इस कारण समय पर आग बुझाना संभव नहीं रह पाता. भाकपा-माले ने मांग की है कि सरकार को इंदिरा आवास योजना को शीघ्रता व संपूर्णता में लागू किया जाना चाहिए ताकि हरेक गरीब परिवार के पास पक्का मकान हो सके और अगलगी जैसी घटनाओं से बचा जा सके. साथ ही आपदा प्रबंधन विभाग को सरकार मजबूत बनाये और पंचायत स्तर पर दमकल की व्यवस्था करे.