पटना 21 अप्रैल 2015
बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ-गोप गुट के तत्वावधान में आज राजधानी पटना में अपने ज्वलंत सवालों को लेकर बिहार के विभिन्न इलाकों से हजारों की तादाद में आशा कार्यकर्ताओं ने गांधी मैदान से विशाल जुलूस निकाला और फ्रेजर रोड होते हुए, डाकबंगला चौराहा, पटना जंक्शन, जीपीओ से होते हुए आर ब्लाॅक पर जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगों में आशा कार्यकर्ता को सरकारी सेवके घोषित करने एवं मानदेय न्यूनतम रु. 15000 करने की मांग भी शामिल थीं.
प्रदर्शन का नेत्त्व आशा संघ की राज्य अध्यक्ष शशि यादव, बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ-गोपगुट के नेता रामबली प्रसाद, महासचिव प्रेमचंद जी, आशा संघ के सम्मानित अध्यक्ष सुरेश प्रसाद, आशा संघ की जहानाबाद की सचिव सुनिला देवी, मधुबनी जिला सचिव पूनम देवी, श्यामा देवी, मुजफ्फरपुर जिला सचिव अनिता देवी, मुंगेर जिला अध्यक्ष, सचिव जूली देवी, मधु देवी, एवं सिवान ऐपवा की नेता सोहिला गुप्ता, मालती राम, नवादा की ऐपवा नेता सावित्राी देवी आदि ने किया. प्रदर्शन में पूरे बिहार से हजारों आशा कार्यकर्ता शामिल हुईं.
आर ब्लाॅक चौराहे पर प्रदर्शन को संबोधित करते हुए दोनों संगठनों की नेताओं ने कहा कि बिहार सरकार ठेका-मानदेय, प्रोत्साहन राशि पर काम चलाने वाली महिलाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय है. आशा कार्यकर्ताओं को तो मानदेय तक नहीं मिलता, उन्हें प्रत्येक प्रसव पर 600 रु. मिलता है, वह भी एंबुलेस के आ जाने के बाद 200 रु. काट लिया जाता है. इनके पैसे का अधिकारी बंदरबाट करते हैं. इन्हें दुर्घटना स्वास्थ्य बीमा, पेंशन लाभ भी नहीं दिया जाता है. किसी कारणवश पेशेंट के साथ आशा कार्यकर्ता नहीं पहुंचती तो “नो आशा” लगा दिया जाता है. इसका पैसा नहीं दिया जाता है. रात भर अस्पताल में रहना पड़ता है परंतु बैठने तक की जगह नहीं मिलती. अधिकारियों द्वारा सम्मानजक व्यवहार तक नहीं किया जाता. बोलने पर हटा देने की धमकी दी जाती है. इनसे तमाम तरह के दूसरे काम करवाये जाते हैं. मलेरिया, फ्लेरिया, टीवी सबकी दवा मिलवाना, अन्य तरह के काम भी कराए जाते हैं. जिसका पैसा उन्हें नहीं मिलता. कोई अवकाश यहां तक की मातृत्व अवकाश भी नहीं दिया जाता है. इनकी सुरक्षा का भी कोई इंतजाम नहीं है. देर रात में भी प्रसव लेकर आना पड़ता है. कई जगह आशा के साथ्ज्ञ बलात्कार की घटना तक घट चुकी है.
वक्ताओं ने कहा कि बड़ी हैरानी की बात है कि बिहार दिवस के अवसर पर सरकार ने महिला नीति की घोषणा की है. लेकिन इन महिलाओं को मानदेय देने के संदर्भ में एक शब्द भी नहीं कहा. उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार हो या बिहार की नीतीश सरकार दोनों कामगर महिलाओं के प्रति उपेक्षा पूर्ण रवैया अपना रही है. यदि बिहार सरकार आशा कार्यकर्ताओं की मांगों पर तत्काल पहलकदमी नहीं लेती, तो पूरे बिहार में आंदोलन किया जाएगा.