उत्तराखंड को बचाने के लिए मजबूत वामपंथी विपक्ष जरूरी – वाम पार्टियाँ संयुक्त रूप से लड़ेंगी चुनाव

तीन वामपंथी पार्टियों – भाकपा, माकपा, भाकपा(माले) की संयुक्त बैठक देहरादून में आयोजित हुई. बैठक में वाम नेताओं में इस बात पर सहमति बनी कि तीनों वाम पार्टियाँ संयुक्त रूप से चुनाव लड़ेंगी और पूरे अभियान को भी संयुक्त रूप से संचालित किया जाएगा. वाम नेताओं ने कहा कि जिस तरह की पतित राजनीतिक संस्कृति  बीते पन्द्रह सालों में कांग्रेस-भाजपा ने उत्तराखंड में स्थापित की है, उसके खिलाफ लड़ने के लिए जरुरी है कि उत्तराखंड की विधानसभा का स्वरूप बदले. विधानसभा का स्वरूप बदलने के लिए जरुरी है कि वहां सशक्त वामपंथी विपक्ष हो. वामपंथी पार्टियाँ-उत्तराखंड को बचाने के लिए मजबूत वामपंथी विपक्ष – के नारे के साथ लोगों के बीच जायेंगी. वाम पार्टियों ने निर्णय लिया कि वे प्रदेश में तकरीबन 25 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी तथा शेष सीटों पर उन लोकतान्त्रिक ताकतों का समर्थन करेंगी, जो कांग्रेस-भाजपा की नीतियों के खिलाफ मजबूती से संघर्ष में नजर आयेंगी. अपनी सीटों से इतर  सीटों पर समर्थन का फैसला भी वाम पार्टियाँ संयुक्त रूप से करेंगी.

वाम नेताओं ने कहा कि कांग्रेस-भाजपा ने पिछले 15 सालों में उत्तराखंड को न केवल आर्थिक भ्रष्टाचार से बल्कि राजनीतिक भ्रष्टाचार से भी त्रसित कर दिया है. प्रदेश में एक-दूसरे की पार्टियाँ तोड़ कर किया गया दल-बदल, इस राजनीतिक भ्रष्टाचार का ही नमूना है. इस राजनीतिक भ्रष्टाचार का ही नतीजा है कि राज्य में बारह विधानसभा क्षेत्र प्रतिनिधि विहीन हो गए हैं. वाम नेताओं ने कहा कि कांग्रेस-भाजपा के अवसरवाद ने उत्तराखंड को मुख्यमंत्री उत्पादक राज्य में तब्दील कर दिया है और 16 साल में राज्य में दस मुख्यमंत्री हो गए हैं. राज्य में सरकार किसी भी पार्टी की रही हो, हित माफिया ताकतों का ही सधता रहा है. जमीन, खनन, शराब आदि के माफियाओं की राज्य में पौ बारह है.

वाम नेताओं ने कहा राज्य बनने के बाद पर्वतीय क्षेत्रों में जिस तरह से पलायन की गति तेज हुई है, वह राज्य में लागू नीतियों की वजह से है. उन्होंने कहा कि पहाड़ में खेती की उपेक्षा, उसमें निवेश का अभाव, उत्पादों के समर्थन मूल्य और क्रय केन्द्रों का अभाव, जैसे तमाम कारकों ने पहाड़ में लोगों को खेती से विमुख हो कर पलायन करने के लिए विवश किया है. जंगली जानवरों का आतंक भी इसमें एक प्रमुख कारक है. बदहाल शिक्षा व्यवस्था और पूरी तरह से चरमराई हुई स्वस्थ्य व्यवस्था ने भी लोगों का जीना मुहाल कर दिया है.

वाम नेताओं ने गैरसैण राजधानी के सवाल पर राज्य सरकार पर छल करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि एक ओर गैरसैण में विधानसभा भवन बनाया जा रहा और दूसरे तरफ देहरादून में रायपुर में भी विधानसभा भवन और सचिवालय निर्माण का टेंडर निकाला गया है. यह सार्वजनिक धन की बर्बादी और जनता के साथ धोखा है. वाम नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार पूरी तरह से अलोकतांत्रिक कार्य प्रणाली अपनाए हुए है. राज्य से जुड़े प्रमुख सवालों पर राज्य में काम करने वाले राजनीतिक दलों के साथ बातचीत करने की संस्कृति यहाँ विकसित ही नहीं की गयी. हाल ही राज्य सरकार द्वारा विधानसभा से पारित पंचायत राज अधिनियम राज्य सरकार की अलोकतांत्रिक कार्यप्रणाली का ही नमूना है. जिस तरह से चुनाव लड़ने के लिए शौचालय को शर्त बनाया गया है, वह गरीबों को पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित करने का षड्यंत्र है. वाम नेताओ ने कहा कि शौचालय होने से पहले यह आवश्यक है कि लोगों के पास घर हो. महिलाओं के नाम पर चूँकि कोई संपत्ति नहीं है तो इस तरह यह कानून महिलाओं के बड़े हिस्से को भी चुनाव लड़ने से वंचित कर देगा. पहाड़ में 500 की जनसँख्या पर ग्रामसभा बनाने की शर्त, कई ग्राम सभाओं का अस्तित्व मिटा देगा. वाम नेताओं ने आरोप लगाया कि इस मामले समेत, कई मामलों में हरीश रावत हरियाणा, राजस्थान आदि की भाजपाई सरकारों के नक़्शेकदम पर चल रहे हैं.

वाम नेताओं ने कहा कि कांग्रेस-भाजपा की सरकारों ने कृषि भूम हडप कर उनपर सिडकुलों की स्थापना की. लेकिन इन में स्थानीय बेरोजगारों को 70 प्रतिशत रोजगार देने के शासनादेश को ठेंगा दिखा दिया गया है. स्थानीय बेरोजगारों को इन उद्योगों में रोजगार सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज के जरिये रोजगार उपलब्ध करवाना सुनिश्चित किया जाए. वाम नेताओं ने कहा कि वर्तमान में सिडकुल श्रम कानूनों की कब्रगाह बने हुए हैं, जहाँ मजदूरों और मजदूर नेताओं पर कातिलाना हमले हो रहे हैं. वाम नेताओं ने मांग की कि सभी आउटसौर्सिंग, ठेका आदि अस्थायी व्यवस्था पर कार्यरत मजदूरों का नियमितीकरण किया जाए. साथ ही पिछले दिनों अतिथि शिक्षकों एवं बी.पी.एड. प्रशिक्षितों पर लाठीचार्ज की भी तीव्र भर्त्सना की तथा अविलम्ब उनकी वाजिब मांगों को पूरा किये जाने की मांग की. वाम नेताओं ने बेरोजगारी भत्ता खत्म किये जाने का विरोध करते हुए, सभी बेरोजगारों को स्थायी रोजगार मिलने तक बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की मांग की. राज्य में अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति के बैकलॉग के 48 हजार पदों को तत्काल भरे जाने की मांग भी वाम नेताओं ने की.

पूरे देश में गौ रक्षा के नाम पर हो रहे दलित उत्पीडन के खिलाफ खड़े हुए दलित आन्दोलन के साथ वाम पार्टियों ने एकजुटता जाहिर की और गाय के नाम पर उन्माद और गुंडागर्दी करने वालों पर सख्त कार्यवाही किये जाने की मांग की. वाम नेताओं ने कहा कि जनता को मंहगाई, बेरोजगारी से निजात दिलाने जैसे तमाम वायदों को पूरा करने विफल मोदी सरकार उन्माद, भय,साम्प्रदायिक घृणा का माहौल बना कर लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है.

वाम पार्टियां मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ मजदूर संगठनों द्वारा आहूत 2 सितम्बर की अखिल भारतीय आम हड़ताल का समर्थन करेंगी और इस हड़ताल को सफल बनाने के लिए एकजुट प्रयास करेंगी. कांग्रेस-भाजपा की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ, जनसंघर्षों के विकल्प के निर्माण के लिए 30 सितम्बर से वाम पार्टियाँ राज्य भर में संयुक्त अभियान चलाएंगी. इस अभियान का पहला चरण 30 सितम्बर से 6 अक्तूबर तक चलेगा.

वाम पार्टियों की संयुक्त बैठक में माकपा के वरिष्ठ नेता कामरेड विजय रावत, माकपा के राज्य सचिव राजेन्द्र सिंह नेगी, भाकपा की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य का. समर भंडारी, भाकपा के राज्य सचिव का. आनंद सिंह राणा, भाकपा(माले) के राज्य सचिव का. राजेन्द्र प्रथोली और राज्य कमेटी सदस्य इन्द्रेश मैखुरी शामिल थे.


इंद्रेश मैखुरी, राज्य कमेटी सदस्य, भाकपा(माले)

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