एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) को नष्ट करने की सरकारी योजना के खिलाफ आंगनबाड़ी कर्मचारी दिल्ली रवाना

हल्द्वानी, 14 फरवरी, “एकीकृत बाल विकास सेवा” (आईसीडीएस) योजना को नष्ट करने की मोदी सरकार की योजना के खिलाफ 15 फरवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर होने वाले राष्ट्रीय प्रतिवाद में शामिल होने ‘ऐक्टू’ से संबद्ध उत्तराखण्ड आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन की कार्यकत्रियों व सहायिकाओं ने दिल्ली कूच किया. इस रैली हेतु कुमाऊँ के सभी जिलों से आई हुई आंगनबाड़ी कर्मचारी दिल्ली रवाना हुई.

दिल्ली में होने वाली रैली के बारे में जानकारी देते हुए ‘ऐक्टू’ से संबद्ध उत्तराखण्ड आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री कैलाश पाण्डेय ने बताया कि, ‘केंद्र की मोदी सरकार ने आईसीडीएस के बजट में भारी कटौती कर दी है. जबकि कई अध्ययन यह साबित कर चुके हैं कि बाल कुपोषण और शिशु और मातृ मृत्यु दर कम करने में आईसीडीएस की महत्वपूर्ण भूमिका है. लेकिन केंद्र सरकार आईसीडीएस में बजट कटौती कर व उसका निजीकरण करके, देश के भविष्य हमारे बच्चों व इन बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं को यह बुनियादी सेवाएं प्रदान करने की अपनी जिम्मेदारी से हाथ खींच रही है. हम इसकी दृढ़ता से निंदा करते हैं.’

उन्होंने बताया कि, आंगनबाड़ी के देश भर के 6 फेडरेशनों की संयुक्त दिल्ली रैली निम्न मांगों को लेकर हो रही है — आईसीडीएस योजना के किसी भी प्रकार के निजीकरण को बंद किया जाय, बजट में की गयी कटौती वापस ली जाय, आईसीडीएस के लिए वर्ष 2015-16 का बजट आवंटन किसी भी हाल में 26,000 करोड़ रूपये से कम न हो, आंगनबाड़ी कार्यकताओं व सहायिकाओं को क्रमशः ग्रेड 3 व ग्रेड 4 के कर्मचारी के रूप में नियमित किया जाय, नियमितिकरण लंबित रहने तक 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को तुरंत लागू किया जाय, न्यूनतम वेतन 15,000 रु. प्रतिमाह किया जाय, सभी आंगनबाड़ी कर्मियों को सामाजिक सुरक्षा लाभ दिए जाय जिसमें गारंटीशुदा पेंशन, ग्रेच्युटी, स्वास्थ्य बीमा व अन्य लाभ शामिल हों.’

 

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