काॅमरेड मान सिंह पाल को उनके पहले ‘‘स्मृति दिवस‘‘ पर याद किया

2016_03_09_Man Singh Pal Shradhanjaliभाकपा(माले) राज्य कमेटी के पूर्व सदस्य और क्षेत्र के जुझारू नेता काॅमरेड मान सिंह पाल को उनके पहले ‘‘स्मृति दिवस‘‘ पर याद करते हुए पार्टी की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर वक्ताओें ने कहा कि, ‘‘ कामरेड मान सिंह पाल हमारी पार्टी के स्तम्भ थे जिन्होंने क्षेत्र में जनता के विभिन्न आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए जनता के दिलों में जो जगह बनायी वह आज भी बरकरार है। तमाम लोगोें ने उन्हें याद करते हुए उनकी राजनीतिक सक्रियता और संवेदनशीलता को याद किया। मान सिंह पाल अमर रहें, मान सिंह पाल को लाल सलाम के नारों के बाद उन्हें दो मिनट का मौन रखकर व उनकी तस्वीर पर श्रृद्धासुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गयी और राजस्व गांव की उनकी तमन्ना को मंजिल तक पहुंचाने की शपथ ली।

भाकपा(माले) राज्य सचिव राजेन्द्र प्रथोली ने कहा कि, ‘‘ काॅमरेड मान सिंह पाल को सच्ची श्रृद्धांजलि यही हो सकती है कि आज के राजनीतिक हालात में जोरदार हस्तक्षेप कर पार्टी की ताकत को बढ़ाया जाए। ‘‘ उन्होंने कहा कि,‘‘ आज जब मोदी सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है तब उसने अंधराष्ट्रवाद को अपना हथियार बनाया है। जे0एन0यू0 की आड़ में शिक्षा के निजीकरण , भगवाकरण को आधार प्रदान किया जा रहा है। एक साजिश के तहत वामपंथ को निशाने पर लिया जा रहा है और रोहित वेमुला के मामले को दबाने के लिए इसको इस्तेमाल कर मोदी सरकार एक तीर से कई निशाने साध रही है।‘‘ उन्होंने कहा कि, ‘‘ जिस संघ परिवार का आजादी के आंदोलन से गद्दारी और माफी मांगने का इतिहास है वे आज भगत सिंह के वारिसों को देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं। ये फासीवादी मंसूबे तभी ध्वस्त हो सकते हैं जब भगत सिंह और अम्बेडकर की विरासत को आगे बढ़ाया जाए।‘‘

‘माले‘ की केन्द्रीय कमेटी के सदस्य राजा बहुगुणा ने कहा कि, ‘‘ उत्तराखण्ड में खनन-भूमि-शराब माफिया की तिकड़ी का राज हो गया है। संसाधनों की लूट और आंदेालन का दमन करने में मोदी और हरीश रावत में अद्भुत समानता है। बिन्दुखत्ता , नैनीसार , मलेथा से लेकर देहरादून के चाय बागानों तक जमीनों को लुटाना और दमन करन इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।‘‘

कार्यक्रम में पार्टी के 19-20 मार्च को श्रीनगर (गढ़वाल) में होने जा रहे दूसरे राज्य सम्मेलन के दस्तावेज पर भी बहस आयोजित हुई। इस अवसर पर बहादुर सिंह जंगी, कैलाश पाण्डेय, विमला रौंथाण, भुवन जोशी, आनन्द सिजवाली, बिशनदत्त जोशी, मदन धामी, पान सिंह कोरंगा, बसंती बिष्ट, गोविन्द जीना, पुष्कर दुबडि़या, स्वरूप दानू, पंकज, मीना मेहता , निर्मला, दौलत कार्की, छविराम, विनोद कुमार, राजेन्द्र शाह, किशन बघरी, हरीश भण्डारी, किशननाथ, मेहरून खातून, प्रेमराम टम्टा, ज्ञानचंद समेत दर्जनों लोग मौजूद थे। संचालन ललित मटियाली ने किया।

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