भाकपा (माले) नेता और अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष पुरुषोत्तम शर्मा ने बिन्दुखत्ता नगर पालिका की वापसी को यहां के किसानों के संघर्ष की जीत बताते हुए और भी बड़ी लड़ाइयों के लिए तैयार रहने का आह्वान किया है। वे आज बिन्दुखत्ता नगर पालिका वापसी पर कार रोड चौराहे पर आयोजित विजय जुलूस से पहले आयोजित सभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने 14 अक्टूबर को बिन्दुखत्ता की आंदोलनरत महिलाओं पर दमन व अभद्रता के लिए राज्य के मुख्यमंत्री और श्रम मंत्री से बिन्दुखत्ता की महिलाओं व जनता से माफी मांगने और आंदोलनकारियों पर लादे गए मुकदमे वापस लेने की मांग की है। कामरेड शर्मा ने बिन्दुखत्ता के संघर्षशील किसानों के साथ ही आंदोलन को समर्थन देने वाले पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और सभी शुभ चिंतकों का आभार जताया। इस मौके पर उन्होंने पार्टी के दिवंगत नेता कामरेड मानसिंह पाल के योगदान को विशेष रूप से याद किया।
कामरेड शर्मा ने कहा कि अभी यह अधूरी जीत है। अभी मुकदमों की वापसी और राजस्व गांव के लिए संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने लालकुआं रेलवे क्रासिंग पर फ्लाई ओवर और गौला में तटबंध व बाईपास मार्ग बनाने की मांग भी दोहराई। सभा के बाद आंदोलन कारियों ने मिठाई बाँट कर खुशी मनाई। इसके बाद स्कूटर, मोटरसाइकिल और कार सवार लोगों का एक विजय जुलूस बिन्दुखत्ता के गावों में निकाला।
कार्यक्रम में पार्टी के वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी, जिला सचिव कैलाश पांडेय ने भी संबोधित किया।
वन भूमि में लंबे भूमि संघर्ष के बल पर बसे बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाने की मांग पिछले 35 वर्षों से वहाँ के गरीब किसान करते रहे हैं। भूमि संघर्ष के दौर से ही इन संघर्षों की अगुवाई भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) और अखिल भारतीय किसान महासभा करती रही हैं। राशन कार्ड, वोटर लिस्ट, सड़क, बिजली, स्कूल, वृद्ध विधवा पेंशन, दूध के दाम आदि सवालों पर भाकपा (माले) और किसान महासभा ने बिन्दुखत्ता में कई ऐतिहासिक आंदोलन किए।
आज लगभग 60 हजार की आबादी वाला बिन्दुखत्ता ग्यारह हजार एकड़ जंगल की जमीन पर बसा है। लालकुआं विधानसभा के चुनाव की हार जीत में वहाँ के लगभग 35 हजार वोट महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यही कारण है कि हर राजनीतिक पार्टी का केन्द्रीयकरण बिन्दुखत्ता में रहता है। भाकपा (माले) द्वारा लड़ी जा रही राजस्व गांव की मांग को बाद के दौर में सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने एजेंडे में शामिल कर दिया। पर राज्य बनने के बाद भी सत्ता में रही कांग्रेस भाजपा ने राजस्व गांव के निर्माण के लिए कोई भी पहल नहीं ली।
इधर 2014 में हरीश रावत सरकार ने बिन्दुखत्ता को नगर पालिका बनाने की अंतरिम अधिसूचना जारी कर दी। भाकपा (माले) और किसान महासभा ने नगर पालिका का विरोध पहले दिन से ही शुरू कर दिया। माले का तर्क था कि बिना भूमि हस्तारण के नगर पालिका बनी तो यहां के गरीब किसानों की जमीन नजूल भूमि की श्रेणी में आ जाएगी जिसका सर्किल रेट से शुल्क चुका कर जमीन अपने नाम कराना इन गरीबों के बूते से बाहर है। जबकि गांव रहने पर भूमि हस्तांतराण होगा तो यह भूमि वर्ग 4 में आएगी जिससे हर गरीब किसान की जमीन का पट्टा उसके नाम निशुल्क हो जाएगा। मगर सरकार ने एक न सुनी और आंदोलन के दमन का रास्ता चुना।
बिन्दुखत्ता नगर पालिका का इतिहास:
- अंतिरिम अधिसूचना 18 दिसंबर 2014 को जारी हुई।
- 20 दिसंबर 2015 को अखिल भारतीय किसान महासभा और भाकपा (माले) ने लालकुआं तहसील के माध्यम से जनता की लिखित आपत्तियां जमा कराई और शहरी विकास विभाग को भी फैक्स किया।
- 24 दिसंबर 2015 को लालकुआं तहसील पर किसान महासभा का विरोध प्रदर्शन और एक हजार लोगों की लिखित आपत्तियां सौपी। इसका फैक्स फिर शहरी विकास विभाग को भेजा।
- जनवरी में किसान महासभा ने गांव गांव किसान पंचायतें कर पालिका के विरोध की जमीन तैयार कर दी।
- 28 जनवरी 2015 को किसान महासभा ने किसान महापंचायत आयोजित की जिसमें करीब 8 हजार किसानों ने शिरकत की और लालकुआं में विशाल रैली निकाली 24 फरवरी 1915 को सरकार ने नगर पालिका गठन की अधिसूचना जारी कर दी।
- 17 मार्च को किसान महासभा और भाकपा (माले) ने देहरादून में विधानसभा के समक्ष विशाल प्रदर्शन किया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने किसान महासभा के प्रतिनिधि मंडल से वार्ता कर पालिका वापसी का आश्वासन दिया।
- 19 मार्च 2015 को सरकार ने अपने वायदे से मुकर कर नगर पालिका का प्रशासक नियुक्त कर दिया।
- 25 मार्च से किसान महासभा ने तहसील लालकुआं पर अनिश्चित कालीन धारणा और अनशन शुरू कर दिया।
- 28 मार्च को लालकुआं में युवाओं का विशाल मशाल जुलूस निकाला।
- 30 मार्च को हाईकोर्ट में रिट दाखिल, 1 अप्रेल 2015 को ऐतिहासिक तहसील घेराव।
- इसके बाद भी किसान महासभा के लगातार जुलूस प्रदर्शन।
- 14 अक्टूबर 2015 को नगर पालिका कार्यालय उदघाटन के अवसर पर हजारों किसानों का विरोध प्रदर्शन।
- आंदोलनरत महिलाओं के साथ पुलिस व श्रम मंत्री दुर्गापाल के कार्यकर्ताओं द्वारा मारपीट, अभद्रता और 47 लोगों पर नामजद व 250 अनाम पर संगीन धाराओं में केस दर्ज।
- 19 अक्टूबर को किसान महासभा व माले ने लालकुआं में निकाला दमन विरोधी मार्च। नवम्बर 2015 में गांव गांव में जवाब दो सभाएं आयोजित की गयी।
- 16 दिसम्बर 2015 को लालकुआं में रैली व सभा।
- 21 जनवरी 2015 को मुख्यमंत्री के बिन्दुखत्ता दौरे पर काले झंडे के साथ मुख्यमंत्री वापस जाओ कार्यक्रम, मुख्यमंत्री का दौरा रद्द। इसके बाद भी लगातार प्रदर्शन।
- 16 से 25 मई 2016 तक किसान संघर्ष यात्रा निकाली और 26 मई को हल्द्वानी बुद्ध पार्क में धरना और सभा हुई। जुलाई 2016 में पुलिस द्वारा मुकदमें में चार्जशीट जमा।
- अगस्त में अनशन जारी।
- अभी 9 अगस्त को किसान महासभा व माले का लालकुआं में जुलूस व प्रदर्शन।
- कोर्ट में मुकदमे की 7 सितंबर की तारीख के समन जारी।
- 31 अगस्त को किसान महासभा की प्रेस वार्ता में राजनीतिक बदले की भावना तहत मुकदमा दर्ज कराने का श्रम मंत्री पर आरोप।
- 4 सितंबर से 6 सितंबर तक बिन्दुखत्ता नगर पालिका के भविष्य को लेकर मीडिया में सवालों व खबरों का दौर शुरू।
- 6 सितंबर को श्रम मंत्री के समर्थकों का नगर पालिका के पक्ष में देहरादून कूच।
- 6 सितंबर 2016 की सायं 8:30 बजे के करीब मुख्यमंत्री द्वारा नगर पालिका वापसी का फैसला।
- कुल 18 महीने 11 दिन रही बिन्दुखत्ता नगर पालिका।
- किसानों के आंदोलन की जीत।
- अब और बड़ी जीतों के लिए आंदोलन की अगली रणनीति की तैयारी।