19मई,2016 हल्द्वानी, ऐक्टू प्रदेश महामंत्री और मजदूर नेता के. के. बोरा को पुलिस द्वारा जबरन उठाने की कोशिशों की भाकपा(माले) कड़ी निंदा करती है।
आज मिंडा मजदूरों की रुद्रपुर श्रम कार्यालय में श्रम अधिकारियों और मिंडा प्रबंधन के साथ वार्ता थी जिस हेतु श्रमिक नेता और ऐक्टू के प्रदेश महामंत्री के. के. बोरा भी श्रम कार्यालय रुद्रपुर में मौजूद थे। इसी दौरान रुद्रपुर पुलिस द्वारा उन्हें जबरन गिरफ्तार करने का प्रयास किया गया। वारंट या सम्मन दिखाने की मांग करने पर वारंट दिखाने के बजाय पुलिस जबरदस्ती पर उतर आयी। इस पर मिंडा यूनियन के श्रमिकों द्वारा उग्र विरोध करने पर पुलिस के. के. बोरा को गिरफ्तार नहीं कर पायी और पुलिस बल को बैरंग लौटना पड़ा। पर पुलिस की इस हरकत और हिम्मत के पीछे मिंडा प्रबंधन,प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत साफ़ दिखाई देती है।
भाकपा(माले) के नैनीताल जिला सचिव कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, के. के. बोरा सम्मानित मजदूर नेता हैं और अपने श्रमिकों-अधिकारों के लिये चलाये जा रहे संघर्ष के लिये जाने जाते हैं। उनके साथ पुलिस का इस तरह का व्यवहार कई सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा कि, राज्य सरकार और श्रम मंत्री लगातार मालिकों के पक्ष में खड़े हैं और सिडकुल को श्रम-कानूनों की कब्रगाह में बदल दिया गया है। नौजवान युवक-युवतियों से न्यूनतम मजदूरी से बहुत ही कम पर काम लिया जा रहा है और इसके खिलाफ बोलने वालों की आवाज बंद करने की कोशिशें की जा रही हैं जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
कैलाश पाण्डेय ने सभी मजदूर संगठनों और प्रगतिशील-लोकतांत्रिक शक्तियों का आवाहन किया कि सिडकुल में चल रहे इस मजदूर विरोधी माहौल में हस्तक्षेप करें और के. के. बोरा जैसे मजदूर पक्षधर नेता पर पुलिसिया जबरदस्ती के खिलाफ अपना सक्रिय विरोध दर्ज करें।