बाढ़ और भूकटाव के पीड़ितों के लिए संघर्ष करेगी भाकपा(माले)

भाकपा(माले) के जिला सचिव कैलाश पाण्डेय के नेतृत्व में भाकपा (माले) की एक 5 सदस्यीय टीम ने इन्द्रानगर, हाटाग्राम, खुरियाखत्ता आदि क्षेत्रों के गौला तटों का दौरा करके पीड़ितों से मुलाकात की और गौला द्वारा भू-कटाव के मुद्दे को जोर-शोर से उठाने का आश्वासन दिया।

प्रेस को दिये एक बयान में कैलाश पाण्डेय ने कहा कि भाकपा (माले) की 5 सदस्यीय टीम ने सबसे पहले इन्द्रानगर और हाटाग्राम के दौरे में गौला द्वारा कटाव से पीड़ित लोगों से बातचीत की। बातचीत में पीड़ितों ने बताया कि जब से वे बिन्दुखत्ता आये हैं उनकी 2 से 5 बीघा जमीन गौला में समा गयी है। 15 साल पहले गौला का बहाव-क्षेत्र गांव से एक किमी दूर था लेकिन हर साल कटाव होने से ग्रामीणों की कई बीघा जमीन गौला में समा गयी और गांव भी गौला की जद में आ गये। सरकार की ओर से हर साल मंत्री व जिला प्रशासन के लोग देखने के लिए आते हैं लेकिन अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है। सरकार और जिला प्रशासन की ओर से न तो कोई मुआवजा मिलता है न ही सरकार गौला की जद में आ चुके परिवारों को कहीं और बसाने की बात करती है। 2013 की बरसात में लक्ष्मी देवी की झोपड़ी गौला में समा गयी और इस बार प्रेमा देवी का मकान गौला में समाने को है। इस बार भी बरसात के शुरू में गौला उमड़ पड़ी है और खेती की जमीन को काट दिया है तो प्रशासन की ओर से हाटाग्राम की ओर सिर्फ एक जेसीबी मशीन गौला के बहाव को मोड़ने के लिए लगाई गयी है। नदी के बहाव को मोड़ने का काम भी बिना गांव वालों की सलाह लिये ही प्रशासन व ठेकेदार की मनमर्जी से हो रहा है। जहां मशीन से बहाव को रूख मोड़ने के लिए खुदाई करनी चाहिये वहां खुदाई नहीं करवाई जा रही है। गौला से गुजरते हुए हाथी कोरीडोर क्षेत्र में पिछले कई सालों से कोई खुदाई नहीं हुई है। जिससे गौला का बहाव बिन्दुखत्ता की ओर ही मुड़ रहा है और हर बार कुछ मीटर जमीन काटते हुए खेती वाले इलाका भी गौला नदी में समा जा रहा है। अभी जरूरत यह थी कि नदी के बहाव को मोड़ने के लिए हाथी कोरीडोर से ही खुदाई शुरू करवानी चाहिये थी।

कैलाश पाण्डेय ने कहा कि जब से बिन्दुखत्ता में लोग बसे हैं भाकपा(माले) ने हमेशा से ही यह मांग उठाई है कि गौला में हल्दूचौड़ से लेकर शांतिपुरी तक एक स्थायीतटबंध और इसी पर से बाईपास का निर्माण हो ताकि गौला से लोगों की जान-माल की सुरक्षा हो सके और खनन कार्य में लगे डम्पर भी आबादी क्षेत्र से न गुजरें। लेकिन उत्तराखण्ड में राज कर रही भाजपा-कांग्रेस की किसी भी सरकार ने अभी तक इस मांग पर ध्यान नहीं दिया है। तर्क यह दिया जाता है कि इसमें बहुत खर्चा आयेगा । जबकि हर साल करोड़ों रूपये ठोकर (चैकडेम) लगाने में बर्बाद कर दिये जा रहे हैं और ये ठोकरें हर बरसात में गौला में समा जाते हैं। सरकारों व विधायकों का इरादा भी इसी तरह का है क्योंकि ठोकरें बनाने के ठेके विधायक-मंत्रियों के चहेते कार्यकर्ताओं को बांटे जा रहे हैं। जो ठोकरें बनाने में बड़े घोटाले को अंजाम देते है। यही हाल पिछले पांच वर्षों में दुर्गापाल जी के मंत्री रहते हुए भी हुआ है। अधिकांश ठेके उन्हीं के चहेतों को मिले हैं। पिछले साल अगस्त में इन्हीं चहेते ठकेदारों द्वारा बनाये गये चैकडेम में बड़ा घोटाला सामने आया था जिसमें सीमेंट की जगह मिट्टी के कट्टे लगा दिये गये थे। मामला उठने पर वन विभाग ने जांच भी बिठायी थी लेकिन जांच को मंत्री जी के इशारे पर दबा दिया गया।

कैलाश पाण्डेय ने कहा कि जल्द ही भाकपा(माले) स्थायी तटबंध व बाईपास बनाने, हाथी कोरीडोर से खुदाई करवाने, नुकसान झेल रहे ग्रामीणों को मुआवजा दिलवाने, आवासहीन हो चुके परिवार को अन्यत्र बसाने, चैकडेम बनाने में हुए घोटालों की जांच को सार्वजनिक करने और आरोपी ठेकेदारों के खिलाफ कार्यवाही करने आदि मांगों को लेकर ग्रामीणों को गोलबंद करेगी।

टीम में कैलाश पाण्डेय, ललित मटियाली, पुष्कर दुबड़िया, राजेन्द्र शाह, अशोक मेहता थे। टीम ने रमेश पाण्डेय, गणेश दत्त जोशी, बिशन दत्त जोशी, महेश राम, लक्ष्मी देवी, सरस्वती देवी, त्रिलोचन जोशी, दीवान सिंह चैहान सहित कई ग्रामीणों से मुलाकात की।


कैलाश पाण्डेय
जिला सचिव नैनीताल , भाकपा (माले)

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