बिन्दुखत्ता से नगर पालिका वापस हटाने और मुकदमे वापस लेने की मांग पर अखिल भारतीय किसान महासभा का प्रतिरोध मार्च

लालकुआं 09 अगस्त 2016,

बिन्दुखत्ता से नगर पालिका वापस हटाने और आन्दोलनकारियों पर 14 अक्टूबर 2015 को लादे गए झूठे मुकदमे वापस लेने की मांग पर अखिल भारतीय किसान महासभा ने आज लालकुआं में प्रतिरोध मार्च निकाला. अगस्त क्रांति दिवस पर निकले इस प्रतिरोध मार्च के लिए किसान महासभा के सैकड़ों कार्यकर्ता और किसान महिलाएं सुबह 11 बजे से ही लालकुआं स्टेशन पर जमा होने लगे, बाद में राज्य सरकार और श्रम मंत्री हरीश दुर्गापाल के खिलाफ नारे लगाते हुए किसानों का हुजूम लालकुआं बाजार में मार्च करते हुए तहसील प्रांगण पहुंचा , जहां तहसील प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम उपरोक्त दोनों मांगों से सम्बंधित ज्ञापन भेजा गया.

तहसील प्रांगण में किसानों को संबोधित करते हुए किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि आज केंद्र और राज्य सरकारों की किसान विरोधी नीतियों के कारण देश का किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहा है. किसान को उसके उत्पाद की पूरी लागत तक नहीं मिल रही है और आम उपभोक्ता को बिचौलिए और जमाखोर जम कर लूट रहे हैं. उन्होंने कहा कि पूरे देश में विकास के नाम पर किसानों की जमीनों को हड़पने का अभियान चल रहा है और केंद्र सरकार देश के गरीब किसानों को संरक्षण देने के बजाए कारपोरेट फार्मिंग की नीतियों को बढ़ावा दे रही है. उन्होंने बताया कि आज अगस्त क्रांति दिवस को किसान महासभा पूरे देश में  किसान प्रतिरोध दिवस’ के रूप में मना रही है.

कामरेड शर्मा ने राज्य के श्रम मंत्री हरीश दुर्गापाल से सवाल किया कि बिन्दुखत्ता की जनता के व्यापक विरोध को अनदेखा कर आखिर यह नगर पालिका किसके हित में बनी है? आज नगर पालिका के प्रमाण पत्रों के कारण नवोदय विद्यालय के लिए प्रवेश परीक्षा पास बिन्दुखत्ता के होनहार छात्रों का नवोदय विद्यालयों में प्रवेश रोक दिया गया है. उन्होंने कहा कि 1975 में वन भूमि से बाहर हुई और 1978 में नगर पंचायत बनी लालकुआं की जनता पर इस सरकार ने भूमि के मालिकाने के लिए 2016 के सर्किल रेट से वसूली का शासनादेश किया है. राज्य सरकार की इस कार्यवाही ने बिन्दुखत्ता के मामले में हमारे द्वारा रखी गयी शंकाओं को सही साबित कर दिया है. आने वाले दिनों में एक ग्रामीण किसान और पशुपालक के रूप में बिन्दुखत्ता वासियों को मिल रही तमाम सुविधाएं भी छीन ली जाएंगी. कामरेड शर्मा ने कहा कि हरीश रावत सरकार द्वारा थोपी गयी बिन्दुखत्ता नगर पालिका का विरोध जारी रहेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि क्षेत्र के विधायक व श्रम मंत्री हरीश दुर्गापाल राजनीतिक विद्वेष की भावना से काम कर रहे हैं और आंदोलनरत बिन्दुखत्ता की जनता पर फर्जी मुक़दमे लदवा रहे हैं. पर जनता ने भी 2017 के विधान सभा चुनाव में उन्हें धूल चटाने का संकल्प ले लिया है.

सभा को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) के राज्य सचिव कामरेड राजेन्द्र प्रथोली संघर्षरत किसानों से इस किसान विरोधी रावत सरकार को उखाड़ फैकने और लालकुआं से जन संघर्षों की आवाज भाकपा (माले) के प्रतिनिधि को विधान सभा पहुंचाने की अपील की. उन्होंने कहा कि पिछले पौने दो साल से सड़क पर संघर्ष कर रहे बिन्दुखत्ता के किसानों की आवाज को विधान सभा में किसी भी पार्टी के प्रतिनिधि ने नहीं उठाया. भाजपा के स्थानीय नेताओं के विरोध को नौटंकी करार देते हुए हुए उन्होंने कहा कि राज्य में दो बार भाजपा की सरकार रही है. आज भी भाजपा के 27 विधायक हैं मगर भाजपा ने बिन्दुखत्ता के गरीब किसानों की आवाज को आज तक सदन में नहीं उठाया है. उन्होंने कहा कि भाजपा चाहती तो राष्ट्रपति शासन के दौरान नगर पालिका और आन्दोलनकारियों पर दर्ज मुकदमा वापस करा सकती थी. उन्होंने 2017 में क्षेत्र से कांग्रेस – भाजपा को शिकस्त देने की अपील की.

वरिष्ठ किसान नेता बहादुर सिंह जंगी ने आरोप लगाया कि 14 अक्टूबर को शांतिपूर्वक विरोध कर रही आन्दोलनकारी महिलाओं पर श्रम मंत्री के इशारे पर उनके कार्यकर्ताओं ने हमला व अभद्रता की. उन्होंने कहा कि हरीश दुर्गापाल आज राजनीतिक बदले की भावना से काम कर रहे हैं. उन्होंने सत्ता का दुरुपयोग कर पीड़ित महिलाओं, बुजुर्गों और भूतपूर्व सैनिकों पर फर्जी मुकदमा लादा है. भाकपा (माले) के जिला सचिव कैलाश पाण्डेय ने कहा कि श्रम मंत्री क्षेत्र की जनता को सत्ता की ताकत के बल पर आतंकित करने का असफल प्रयास कर रहे हैं. मगर बिन्दुखत्ता से नगर पालिका की वापसी और 14 अक्टूबर 2015 को लादे गए फर्जी मुकदमे की वापसी तक जनता का यह संघर्ष जारी रहेगा.

सभा को किसान महासभा की राज्य कार्यकारिणी सदस्य विमला रौथान, क्षेत्र अध्यक्ष बसंती बिष्ट, जिला उपाध्यक्ष लक्षमण सुयाल, जिला सचिव राजेन्द्र शाह, भुवन जोशी, ललित मटियाली, चंद्रा देवी, आनंद सिंह सिजवाली, बहादुर राम, शंकर चुफाल, बहादुर सिंह कार्की, पुष्कर पांडा, पानसिंह कोरंगा, नैनसिंह कोरंगा, गोविन्द जीना, पुष्कर दुबड़िया, भाष्कर कापडी, हरीश भंडारी, मीना मेहता, गोपाल गाडिया, बिशनदत्त जोशी, कमलापति जोशी, छविराम, केदारीराम, रमेश भट्ट आदि ने भी संबोधित किया.

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