भगत सिंह अम्बेडकर और राष्ट्रवाद विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन

भाकपा (माले) की नैनीताल जिला कमेटी द्वारा राष्ट्रव्यापी अभियान “उठो मेरे देश, नये भारत के वास्ते – भगत सिंह अम्बेडकर के रास्ते” के तहत आज प्रतिभा बाल विद्यालय में “भगत सिंह अम्बेडकर और राष्ट्रवाद” विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

2016_04_10गोष्ठी में बोलते हुए मुख्य वक्ता भाकपा (माले) के राज्य सचिव राजेन्द्र प्रथोली ने कहा कि आजादी के 68 सालों बाद आरएसएस और भाजपा राष्ट्रवाद की जो ये नयी बहस लेकर आये हैं इसका मकसद अपनी जनविरोधी व काॅरपोरेट पक्षधर नीतियों को इन बहसों के पीछे छिपाना है। अम्बानी, अडानी, माल्या जैसे पूंजीपतियों को संरक्षण, बड़े शिक्षण संस्थानों में फीस वृद्धि, शिक्षा बजट में कटौती और प्राकृतिक संसाधनों की लूट को देश भक्ति पर बहस की आड़ में छिपाया जा रहा है। इसके माध्यम से देश में साम्प्रदायिक विभाजन पैदा करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन के समय में राष्ट्रवाद का साम्राज्यवाद विरोधी पहलू प्रधान था। संघ-भाजपा इसको पीछे धकेलकर साम्प्रदायिक राष्ट्रवाद थोपकर फासीवाद लाना चाहते हैं। इसके खिलाफ भगत सिंह और अम्बेडकर का प्रगतिशील राष्ट्रवाद नये भारत के निर्माण के लिये और लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष और समृ़द्ध भारत के लिये हो रहे संघर्ष के लिये प्रेरणास्त्रोत है।

राजेन्द्र प्रथोली ने कहा कि आजादी के आंदोलन से निकले जिस संविधान का निर्माण अम्बेडकर के नेतृत्व में किया गया उस संविधान की भावना को मोदी सरकार खत्म करना चाहती है। एक तरफ मोदी जी अम्बेडकर का नाम लेते हैं दूसरी तरफ उनके विचारों की हत्या भी करते हैं। इस देश का शासक वर्ग भगत सिंह के विचारों की भी हत्या अभी तक करते आया है।

अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष पुरूषोत्तम शर्मा ने कहा कि, पूरे देश में किसान सूखे की मार झेल रहे हैं। आने वाले समय में यह स्थित और विकट होने वाली है। मोदी सरकार में किसानों द्वारा कर्ज में डूबकर आत्महत्या करने की दर तेज हुई है। लेकिन मोदी सरकार किसानों को राहत देना सब्सिडी पर बोझ बढ़ाना समझती है। इसके उलट विजय माल्या,अम्बानी, अडानी सहित कई काॅरपोरेट को सालाना लाख करोड़ रूपये माफ कर दे रही है। काॅरपोरेट और फासीवादी ताकतों को आगे बढ़ाने का काम ही आरएसएस और भाजपा के लिए असली राष्ट्रवाद है।

भाकपा (माले) के जिला सचिव कैलाश पाण्डेय ने भगत सिँह और अम्बेडकर के राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में वैचारिक योगदान और राष्ट्रवाद और देशभक्ति के उनके विचारों पर विस्तार से अपनी बात रखी और कहा कि रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या और जेएनयू पर हमले ने यह दिखा दिया है राष्ट्रवाद का संघी माॅडल उन्माद, घृणा और गुण्डागर्दी पर आधारित है जो भारत की गंगा-जमुनी तहजीब और 1857 की विरासत के साथ गद्दारी है जिसे देश की जनता स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि देश का बचाने और बनाने के लिये भगत सिंह और अम्बेडकर के विचारों को जनता के बीच में ले जाने की जितनी अधिक जरूरत आज है उतनी कभी नहीं थी।

गोष्ठी में बहादुर सिंह जंगी, भुवन जोशी, शंकर सिंह चुफाल, छविराम, पुष्कर पांडा ने अपने विचार रखे। इनके अलावा गोष्ठी में गोविन्द जीना, विमला रौथाण, प्रवीन दानू, राजेन्द्र प्रसाद, गोविंद , खीम सिंह, लाखन कठायत, पान सिंह दानू, खीम वर्मा, कमल, नंदन नाथ, बलबीर, नैन सिंह कोरंगा, पान सिंह कोरंगा, गोविंद कोरंगा, भाष्कर , हरीश टम्टा, गीता जोशी, पंकज इंकलाबी, हरीश भण्डारी, निर्मला शाही, प्रभात पाल, ललित मटियालीआदि लोग उपस्थित थे।

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