‘ऐक्टू‘ से सम्बद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की राज्य कार्यकारिणी की बैठक दीपक बोस भवन, कार रोड, बिन्दुखत्ता (लालकुआं) में सम्पन्न हुई। आशा राज्य कार्यकारिणी को सम्बोधित करते हुए ‘एक्टू‘ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजा बहुगुणा ने कहा कि, “मोदी सरकार के आने के बाद रोजगार के अवसर लगातार कम हुए हैं। स्टार्ट अप इंडिया, मेक इन इंडिया भी जुमले ही साबित हो रहे हैं। कामगारों पर लगातार हमले बढ़ रहे हैं। आशााओं के केन्द्रीय बजट में भारी कटौती इस सरकार ने कर दी है। और मजदूरों-महिला कामगारों पर हो रहे इस हमले से ध्यान बटाने के लिये सरकार, भाजपा और संघ देश में उन्माद का माहौल बना रहे हैं। धर्म और जाति के नाम पर विभाजित कर कामगारों के बीच फूट डालने का काम किया जा रहा है। पर राहत की बात यह हैं कि छात्रों और कामगारों आंदोलन नई उम्मीद पैदा कर रहे हैं।”
राजा बहुगुणा ने कहा कि, ‘‘महिला सशक्तिकरण का ढोल पीटने वाली सरकारें आशाओं के श्रम का खुला शोषण कर रही हैं। 24 घंटे की ड्यूटी देने वाली आशाओं को न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा है। अब तक आशाओं ने जो भी हासिल किया है संघर्ष के बूते ही हासिल किया है और आगे भी अगर कुछ हासिल होगा वो भी संगठन की ताकत और संघर्ष के बल पर ही हेागा । इसके लिए यूनियन को कमर कसनी होगी।‘‘
उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने कहा कि, “आशाओं के साथ केन्द्र और राज्य की सरकारों ने लगातार छल किया है। केन्द्र सरकार ने बजट कम कर दिया और राज्य सरकार अपने वादों पर ही खरी नहीं उतर रही है। यूनियन सरकार की वादाखिलाफी के विरूद्ध मई में पूरे राज्य के ब्लाकों में जबरदस्त प्रदर्शन किया जायेगा।”
बैठक को ऐक्टू के प्रदेश महामंत्री के.के. बोरा ने कहा कि, “उत्तराखण्ड बनने के बाद 15 सालों में सिडकुल के श्रमिकों से लेकर आशाएं तक सभी दमन और उत्पीड़न की शिकार है। उत्तराखण्ड राज्य श्रम की लूट का राज्य बन गया है। कामगारों को बंधुवा के रूप में तब्दील कर दिया गया है। राज्य प्राकृतिक संसाधनों की खुली लूट और मजदूरों पर दमन का पर्याय बन गया है।”
बैठक में सरस्वती पुनेठा, रीता कश्यप, मीना आर्या, जानकी गुर्रानी, ममता पानू, कुलविंदर कौर, लीला ठाकुर, सरस्वती कोरंगा, देवकी भट्ट, पुष्पा शाही, रूबी भारद्वाज, गीता जोशी, रूपा देवी, चन्द्रप्रकाश शर्मा, ललित मटियाली आदि उपस्थित थे। बैठक का संचालन यूनियन के महामंत्री कैलाश पाण्डेय ने किया।