मोदी सरकार को लेकर जनता की आर्थिक और राजनीतिक आशंकाएं सही सिद्ध हुईं – कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य

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उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य

श्रीनगर (गढ़वाल), 19 मार्च, भाकपा(माले) के दो दिवसीय राज्य सम्मलेन के उद्घाटन सत्र को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए भाकपा (माले) के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी की सरकार को लेकर जनता की आर्थिक और राजनीतिक आशंकाएं थी, वे तो सही सिद्ध हुआ. लेकिन इस दौर में बड़े पैमाने पर किसानों, मजदूरों, बुद्धिजीवियों और छात्र-युवाओं के आन्दोलन नयी उम्मीद जगाते है. चुनाव में विकास, मंहगाई, बेरोजगारी से मुक्ति, काले धन की वापसी जैसे नारों के साथ मोदी सत्ता में आई. लेकिन एक साल होते-होते ही मोदी सरकार का चरित्र साफ़ हो गया. भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में लैटिन अमेरिका से लेकर इंगलैंड, अमेरिका तक नए सिरे से समाजवाद का नारा, बेहतर दुनिया, बेहतर समाज का नारा सुनाई दे रहा है. संघर्ष की यह जो परिस्थिति देश और दुनिया में बन रही है, उसे जनता के हक़ में इस्तेमाल करना ही वामपंथियों का दायित्व है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद के नाम पर जे.एन.यू.पर हमला करने की कोशिश हुई. फर्जी विडियोज के दम पर खड़ा किया गया, यह हमला, छात्रों के जुझारू संघर्ष के सामने भोथरा हो गया है. राष्ट्रवाद की अवधारणा को भी नए सिरे से परिभाषित किया जा रहा है. राष्ट्र सिर्फ नक्शा भर नहीं है, बल्कि देश का मतलब देश के लोग, मजदूर, किसान, छात्र, नौजवान, दलित आदिवासी ,महिलाएं हैं. इन हिस्सों पर हमलावर हो कर जो राष्ट्रवादी होने का दावा कर रहे हैं, उनका राष्ट्रवाद नकली है. पडोसी देशों की घृणा से शुरू हो कर पडोसी देशों के प्रति घृणा पर ही जिनका राष्ट्रवाद खत्म हो जाता है, ऐसा खोखला राष्ट्रवाद,इस देश के किसी काम का नहीं है.

उन्होंने कहा कि देश में लम्बे अरसे के बाद वामपंथी और अम्बेडकरवादी एक साथ साझा मोर्चे पर खड़े हो रहे हैं. भगत सिंह और अम्बेडकर हमारे वास्तविक नायक है, जो उत्पीड़ितों, गरीबों, दलितों का देश बनाने का सपना देख रहे थे. कामरेड दीपंकर ने कहा कि अम्बेडकर जिस जाति व्यवस्था के खात्मे की बात कर रहे थे, वह बिना वर्तमान व्यवस्था को बदले हुए संभव ही नहीं है. रोहित वेमुला पर जिस तरह से संघ के विचारक हमला कर रहे हैं कि रोहित दलित मुद्दों के अलावा अन्य मुद्दों पर भी बोल रहा था. ये आर.एस.एस.-भाजपा की मानसिकता को दर्शाता है कि वे दलितों को एक खांचे में समेट कर रखना चाहते हैं, उनका दायरा बाँध कर उसी में समेट देना चाहते हैं. सब के लिए हदें बाँध कर, उसी दायरे में रहने के लिए दबाव बनाना ही फासीवाद है. नए दौर के वाम और अम्बेडकरवादी आन्दोलन ने संघ द्वारा अम्बेडकर को हडपने की कोशिशों को ध्वस्त कर दिया है.

कामरेड दीपंकर ने उत्तराखंड के राजनीतिक घटनाक्रम पर टिपण्णी करते हुए कहा कि उत्तराखंड जैसे राज्य संसाधनों की लूटगाह बने हुए हैं. उत्तराखंड की विशेष भौगौलिक परिस्थितियों के हिसाब से नीतियां बनाने की जरुरत थी. लेकिन यहाँ झारखण्ड की तरह  सिर्फ मुख्यमंत्री बनने की होड़ कांग्रेस-भाजपा के नेताओं में लगी हुई है.

भाकपा(माले) के राज्य सचिव कामरेड राजेन्द्र प्रथोली ने कहा कि मोदी सरकार सिर्फ कारपोरेट हितों के लिए ही उन्मादी माहौल बनाए हुए है. इसके खिलाफ सड़कों पर लड़ने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 15 साल में 15 लाख लोग गांवों से पलायन कर गए हैं और 1500 से ज्यादा गाँवों में ताले पड़ गए हैं. लेकिन यहाँ सिर्फ लूटतंत्र ही स्थापित हो रहा है.

सम्मलेन को संबोधित करते हुए माकपा के राज्य सचिव कामरेड राजेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि राज्य में जनसंघर्षों की राजनीति को स्थापित करने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि वामपथी पार्टियों को एकजुट हो कर संघर्षों का मोर्चा स्थापित करने और तमाम जनवादी ताकतों को इसके इर्दगिर्द गोलबंद करने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य में तीनों वामपंथी पार्टियों को उनके राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ राज्य स्तरीय कन्वेंशन करना चाहिए.

भाकपा(माले) के केन्द्रीय कमेटी सदस्य राजा बहुगुणा ने कहा कि उत्तराखंड में राजनीतिक उठापटक सिर्फ लूट में हिस्सेदारी की लड़ाई है. हरीश रावत ने राज्य के संसाधनों की लूट को अपने चहेतों के इर्दगिर्द ही केन्द्रित कर दिया था, इसके विरुद्ध ही यह बगावत है. उन्होंने कहा कि हरीश रावत के राज में जमीन, खनन और शराब का माफिया संस्थाबद्ध हुआ. उन्होंने कहा कि जिन सपनों को लेकर राज्य बना था, उन्होंने 15 सालों में भाजपा-कांग्रेस ने पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है.

चकबंदी आन्दोलन के प्रणेता गणेश सिंह गरीब ने कहा कि पहाड़ में कृषि और जमीनों को बचाए बिना उत्तराखंड को बचाना संभव नहीं है.

भाकपा के राज्य सचिव आनंद सिंह राणा ने भी भाकपा(माले) के सम्मलेन में वाम एकजुटता सन्देश प्रेषित किया.

भाकपा(माले) के गढ़वाल सचिव अतुल सती ने स्वागत भाषण दिया और इन्द्रेश मैखुरी ने संचालन किया.

सम्मेलन स्थल पर पार्टी के ध्वज का झंडोत्तोलन वरिष्ठ नेता कामरेड बहादुर सिंह जंगी ने किया और शहीदों की स्मृति में दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजली दी गयी. सम्मलेन में केन्द्रीय पर्यवेक्षक के रूप में केन्द्रीय कमेटी सदस्य संजय शर्मा, केन्द्रीय कार्यालय सचिव और कुमाऊँ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष गिरिजा पाठक, कैलाश पाण्डेय, के.के.बोरा, के.पी.चंदोला, मदनमोहन चमोली, भुवन जोशी, आनंद सिंह नेगी, देवीदत्त तिवारी, गोविन्द काफलिया, हेमंत खाती आदि शामिल थे.

सम्मलेन का प्रतिनिधि भोजनावकाश के बाद शुरू हो कर कल तक जारी रहेगा. प्रतिनिधि सत्र में राज्य सचिव कामरेड राजेन्द्र प्रथोली ने राजनीतिक-सांगठनिक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिस पर चर्चा कल तक चलेगी. सम्मलेन की कार्यवाही के संचालन के लिए 5 सदसीय अध्यक्ष मंडल में कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा, के.पी.चंदोला, कामरेड विमला रौथाण, बहादुर सिंह जंगी और गोविन्द कफलिया तथा संचालन समिति में कामरेड आनंद सिंह नेगी, हरीश धामी और मदनमोहन चमोली शामिल हैं.

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