आइसा के राष्ट्रीय अभियान, “उठो मेरे देश”, जिसका केन्द्रीय नारा “नए भारत के वास्ते, भगत सिंह-अम्बेडकर के रास्ते” है, के तहत श्रीनगर (गढ़वाल) में हेमवती नन्दन बहुगुणा (गढ़वाल) विश्वविद्यालय में “वर्तमान समय में भगत सिंह और अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता” विषयक विचार गोष्ठी आयोजित की गयी. गोष्ठी में छात्र-छात्राएं एवं विश्वविद्यालय के प्राध्यापक शरीक हुए. हर तरह के शोषण, उत्पीडन, गैरबराबरी से मुक्त देश बनाने के अम्बेडकर और भगत सिंह के रास्ते पर चलने की जरुरत पर बल दिया गया. गोष्ठी को संबोधित करने वालों में विश्वविद्यालय में गणित विभाग के आचार्य प्रो.आर.सी.डिमरी, भाकपा(माले) के गढ़वाल सचिव कामरेड अतुल सती, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य और भाकपा(माले) की गढ़वाल कमेटी के सदस्य कामरेड के.पी. चंदोला, आइसा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अतुल सती ने संबोधित किया. आइसा के अंकित उच्छोली ने भगत सिंह के लेख “अछूत समस्या” और सुबोध डंगवाल ने भगत सिंह के अन्य लेख “विद्यार्थी और राजनीति” का पाठ किया. संचालन आइसा के सुमित रिंगवाल ने किया.
गौर तलब है कि कोई पार्टी छात्रों का संगठन अपनी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए बनाती है, लेकिन ऐसी पार्टी छात्र-युवाओं को कहाँ ले जाना चाहती है, जिसने पथराव, हुडदंग, गाली-गलौच को अपने छात्र संगठन का राष्ट्रीय कार्यक्रम बना दिया है?