19 फरवरी 2015,
भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि पहले नीतीश कुमार ने महादलित मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का इस्तेमाल किया और अब भाजपा अपने हित में उनका इस्तेमाल करने में लगी है. बिहार के तेजी से बदले राजनीतिक परिदृश्य में भाजपा दलित-महादलित की हिमायती होने का दिखावा कर रही है और इसके जरिए वह गरीबों के वोट पर निशाना साध रही है. लेकिन पूरा देश जानता है कि भाजपा का असली चरित्र व मकसद क्या है? बिहार में दलितों-महादलितों के जितने भी जनसंहार हुए, लगभग उन सभी मामलों में सामंती-अपराधियों को बरी करवाने में उसकी भूमिका रही है. इसलिए भाजपा की इन कोशिशों से पूरी तरह सावधान रहने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि हमने मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी से अपील की थी कि वे भाजपाइयों की साजिश का शिकार न हों, लेकिन वे खुद को इससे बचा नहीं सके. हम भाजपा के साथ उनके अवसरवादी सांठ-गांठ की निंदा करते हैं. उन्होंने कहा कि जीतनराम मांझी को पर्याप्त समय मिला, लेकिन वे कोई भी ठोस काम नहीं कर सके. गरबों के न्याय, विकास, भूमि सुधार, बटाईदारी कानून, अमीरदास आयोग की पुनर्बहाली आदि सवालों पर उन्होंने कोई दिलचस्पी नहीं दिखलाई, चुप्पी साधे रखी. आज महज चंद घोषणाएं कर रहे हैं.
उन्होंने बिहार की जनता से अपील की है कि न्याय, गरीबों-दलितों-महादलितों के हक में भूमि सुधार की अनुशंसाओं को लागू करवाने तथा अमीरदास आयोग की पुनर्बहाली आदि सवालों पर राज्यव्यापी जोरदार प्रतिरोध आंदोलन का निर्माण करें और खुद को निर्णायक राजनीतिक ताकत के बतौर सामने लाएं. हमारी पार्टी उनके संघर्षों की मजबूती से अगुआई करेगी.