सत्ता के खेल में गरीबों-महादलितों और आम लोगों के बुनियादी सवालों की हो रही उपेक्षा

पटना 20 फरवरी 2015
भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के इस्तीफे पर कहा है कि हमने उनसे पहले ही अपील की थी कि वे भाजपाइयों की साजिश का शिकार न बनें, लेकिन वे खुद को इससे बचा नहीं सके. हम अब भी उम्मीद करते हैं कि महादलितों की दुश्मन नंबर 1 भाजपा का चक्कर छोड़ वे गरीबों के बुनियादी सवालों के प्रति स्वतंत्र ढंग से आगे बढ़ेंगे और भाजपा के लिए कोई जमीन नहीं तैयार करेंगे.

उन्होंने कहा कि आज बिहार की जनता बुनियादी सवालों से जूझ रही है, लेकिन भाजपा हो या फिर जदयू, ये पार्टियां सत्ता के खेल में मशगूल हैं. बिहार के गरीबों के लिए आवास की जमीन, भूमि सुधार, बटाईदारी कानून, अमीरदास आयोग की पुनर्बहाली, न्याय आदि ज्वलंत सवाल बने हुए हैं. किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा. वह पूरी तरह बिचौलियों के कब्जे में है. आए दिन पटना की सड़कों पर अपने सवालों को लेकर शिक्षक-कर्मचारियों, जीविका कर्मियों, आशाकर्मियों आदि के आंदेालन चल रहे हैं. लेकिन इन पार्टियों को जनता के इन सवालों से कोई मतलब नहीं है, वे जोड़-तोड़ कर कुर्सी हथियाने में मग्न हैं.

उन्होंने आगे कहा कि हम सत्ता के इस खेल का पुरजोर विरोध करते हैं और बिहार की जनता से अपील करते हैं कि न्याय, गरीबों-दलितों-महादलितों के हक में भूमि सुधार की अनुशंसाओं को लागू करवाने, अमीरदास आयोग की पुनर्बहाली, शिक्षक-कर्मचारियों के नियत वेतनमान, बिजली-शिक्षा-रोजगार आदि सवालों पर राज्यव्यापी जोरदार प्रतिरोध आंदोलन का निर्माण करें और खुद को निर्णायक राजनीतिक ताकत के बतौर सामने लाएं.

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