25 मार्च। दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी द्वारा श्रमिक-कामगारों को लेकर किये गये वादों को पूरा करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर दिल्ली पुलिस द्वारा किए गये लाठीचार्ज की भाकपा (माले) कड़ी भर्त्सना करती है।
साफ है कि दिल्ली के गरीबों और आम जनों के अपने अधिकारों को लेकर किए जाने वाले शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को लेकर सरकार का रुख वही है जो पूर्ववर्ती सरकारों का था हालांकि वर्तमान सरकार इन्हीं तबकों की नुमाइंदगी का दावा करती है।
अपने कार्यकर्ताओं के साथ पुलिसिया दुर्व्यवहार और बल प्रयोग के खिलाफ बार-बार हो हल्ला मचाने वाली आम आदमी पार्टी सत्ता में आने के बाद उसी रवैये को अपना रही है। मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारियों से मिलना तक मुनासिब नहीं समझा उलटे ठीक उन्हीं के दरवाजे पर प्रदर्शनकारियों की पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्वक पिटाई की गयी।
यह सच है कि दिल्ली की पुलिस, भाजपा सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन है। मोदी सरकार और केजरीवाल सरकार के बीच जिस आदर्श तालमेल की बात की जा रही थी वह क्या यही है कि केजरीवाल सरकार के प्रति विरोध कर रही जनता का दमन मोदी सरकार की पुलिस द्वारा की जाए? संदेह तब और अधिक गहरा जाता है जब मुख्यमंत्री महोदय पुलिस हिंसा के फलस्वरूप घायल जनता से मिलकर उनके हाल चाल जानने की जरूरत तक नहीं समझते।
भाकपा (माले) मांग करती है कि ‘आप’ सरकार दिल्ली द्वारा मेहनतकश जनता से चुनावों में किए अपने वादों को शीघ्र पूरा करे। दिल्ली सरकार के अधीन सभी संविदा / ठेका कर्मचारियों को तत्काल स्थायी कर्मचारी का दर्जा दे। न्यूनतम मजदूरी का भुगतान तुरंत सुनिश्चित करे, जिसमें देरी से हजारों करोड़ रूपयों के घोटाले की आशंका है। इसके साथ ही सरकार दिल्ली के प्रत्येक गरीब परिवार को आवास उपलब्ध कराने की अपनी योजना का ब्लूप्रिंट जारी करे जिसका उल्लेख “आप” ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में किया था। भाकपा (माले) यह भी मांग करती है कि इस पुलिसिया उन्माद और लाठीचार्ज के दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी जल्द से जल्द कड़ी कार्रवाई की जाए। पुलिस हिंसा के शिकार व्यक्तियों को चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जाए और उनपर किसी भी प्रकार की कानूनी कार्यवाही न की जाए क्योंकि अपनी जायज मांगो को लेकर प्रदर्शन करना आम जनता का लोकतांत्रिक अधिकार है।