अपनी पूर्व घोषणा के तहत अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले 1 अप्रैल 2015 को हजारों किसानों ने लालकुआं तहसील का घेराव किया. पिछले साढ़े तीन माह से बिन्दुखत्ता को नगर पालिका बनाने के खिलाफ चल रहे धारावाहिक आन्दोलन के प्रति राज्य सरकार के उदासीन रवैये से गुस्साए बिन्दुखत्ता के हजारों किसान हाथों में लाल झंडा लिए सुबह से ही लालकुआं तहसील पर जुटना शुरू हो गए थे. मुख्यमंत्री हरीश रावत और श्रम मंत्री हरीश दुर्गापाल के खिलाफ जबरदस्त गुस्से से भरे हजारों किसान दिन भर तहसील गेट को घेरे रहे. जब तहसील रोड पूरी तरह भर गयी तो आन्दोलनकारी तहसील के निर्माणाधीन आवासीय परिसर में भी फ़ैल गए और छतों पर भी चढ़ गए. घेराव कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं व नौजवानों की भागीदारी उल्लेखनीय थी. कार्यक्रम का नेतृत्व अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा, बहादुर सिंह जंगी, भुवन जोशी आदि किसान नेता कर रहे थे. भाकपा ( माले) के राज्य सचिव राजेन्द्र प्रथोली, जिला सचिव कैलाश पाण्डेय भी आन्दोलन में शामिल थे.
आन्दोलन कारियों को संबोधित करते हुए किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि “हरीश रावत सरकार ने भू माफिया के हितों को ध्यान में रख कर ही बिन्दुखत्ता को जबरन नगर पालिका बनाया है. उन्होंने कहा कि बिन्दुखत्ता नगर पालिका के गठन में राज्य सरकार ने कानून व संविधान के प्रावधानों का खुला उलंघन किया है. यही नहीं जनता की ओर से दर्ज आपत्तियों पर कोई सुनवाई किये बिना चुपचाप नगर पालिका की अधिसूचना जारी कर दी गयी. उन्होंने कहा कि यह सरकार माफिया की सरकार है और बिन्दुखत्ता के ग़रीबों की जमीनों को छीनने के लिए ही स्थानीय विधायक व श्रम मंत्री हरीश दुर्गापाल ने बिन्दुखत्ता को नगर पालिका बनाने का षडयंत्र रचा है. उन्होंने कहा कि पूर्णतः ग्रामीण परिवेश और बिखरी बसासत वाले बिन्दुखत्ता में 98 प्रतिशत लोग खेती व पशुपालन से अपनी आजीविका चलाते हैं. पिछले चालीस साल से राजस्व गाँव की मांग पर आन्दोलन कर रहे बिन्दुखत्ता वासियों के साथ स्थानीय विधायक व काबीना मंत्री हरीश दुर्गापाल ने भू माफिया से मिलीभगत कर धोखा किया है. उन्होंने कहा कि नगर पालिका हटाए बिना बिन्दुखत्ता के किसानों को उनकी जमीन का मालिकाना हक़ नहीं मिल सकता है.”
कामरेड शर्मा ने आन्दोलनकारियों को सूचित किया कि आज उच्च न्यायालय में दायर हमारी याचिका को न्यायालय ने स्वीकार कर राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब माँगा है कि सरकार ने जनता की आपत्तियों पर सुनवाई किये बिना नगर पालिका का गठन कैसे कर दिया? उन्होंने कहा कि न्यायालय द्वारा दिए गए समय की अवधि तक हम अपने आन्दोलन को स्थगित करेंगे और नगर पालिका वापस न होने की स्थिति में अगली बार हजारों किसान श्रम मंत्री के घर का घेराव करेंगे. उन्होंने आन्दोलन में महिलाओं व नौजवानों की बढ़ती भागीदारी को आन्दोलन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए सबका आभार जताया और संघर्ष को जीत तक पहुंचाने के लिए संघर्ष जारी रखने का आह्वान किया. कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा ने इस आन्दोलन को समर्थन देने वाले सभी दलों, संगठनों, व्यक्तियों और मीडिया का किसान महासभा व बिन्दुखता के किसानों की और से आभार जताया.
उन्होंने सांसद व भाजपा नेता भगत सिंह कोश्यारी के बयान को भ्रामक व तत्थ्यहीन बताते हुए कहा कि कोश्यारी अपने कार्यकर्ताओं से झूठ बोल रहे हैं कि उनकी सरकार ने बिन्दुखता को राजस्व गाँव बनाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था जिसे कांग्रेस की सरकार ने लौटा दिया. उन्होंने कहा कि कोश्यारी जी के मुख्यमत्री काल में केंद्र में अटल बिहारी बाजपेई की सरकार थी. यही नहीं राजस्व गाँव का निर्माण भी राज्य सरकार करती है न की केंद्र सरकार. राज्य सरकार को तो बिन्दुखत्ता के वन भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव केंद्र को भेजना है जिसे भाजपा-कांग्रेस किसी भी सरकार ने आज तक नही भेजा है. उन्होंने कहा कि भाजपा का राज्य नेतृत्व भी भूमाफिया का संरक्षक है और बिन्दुखत्ता नगर पालिका का समर्थक है. इसी लिए आज तक भाजपा के राज्य नेतृत्व ने और नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने सरकार के इस जन विरोधी फैसले का विरोध नहीं किया है.
सभा को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) के राज्य सचिव राजेन्द्र प्रथोली ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा बिन्दुखत्ता के किसान नेताओं से जनता की इच्छा के विपरीत फैसला न लेने का वायदा किया गया था. मगर दो दिन बाद ही मुख्य मंत्री ने अपने वायदे से पलट कर मुख्यमंत्री पद की गरिमा को गिराया है. उन्होंने कहा कि पूरे बिन्दुखत्ता की जनता तीन माह से आन्दोलन में है फिर भी राज्य सरकार जन भावना के खिलाफ लिए गए अपने फैसले पर अड़ी है. कामरेड प्रथोली ने इस सवाल पर भाजपा के दोहरे रोल को पहचानने को कहा. उन्होंने कहा कि भाजपा के स्थानीय नेता पालिका का विरोध कर रहे हैं पर ऊपरी नेता पालिका के पक्ष में में चुप बैठे हैं. अगर नेता प्रतिपक्ष विधानसभा में इस मुद्दे को उठाते तो सरकार पालिका का प्रशासक नियुक्त न कर पाती. उन्होंने पालिका को वापस कराने तक आन्दोलन को जारी रखने व भाकपा (माले) की ओर से आन्दोलन को हर संभव सहयोग करने का वायदा किया. सभा को किसान नेता बहादुर सिंह जंग, भुवन जोशी, बसंती बिष्ट, विमला रौथान, भाकपा ( माले) के जिला सचिव कैलाश पाण्डेय, कमलापति जोशी, पुष्कर दुबड़िया, आनंद सिजवाली, शंकर जोशी, ललित मटियाली, पुष्कर पांडा, लक्ष्मन सुयाल, किशन बघरी आदि ने भी संबोधित किया.
इसके बाद आठ दिनों से सामूहिक भूख हड़ताल पर बैठे मंगल सिंह कोश्यारी, कुंवर सिंह चौहान, शेरसिंह कोरंगा और पांच दिन से बैठे विपिन सिंह बोरा को कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा और कामरेड राजेन्द्र प्रथोली ने अस्पताल जाकर जूस पिलाया और उनका अनशन ख़त्म कराया. इन चारों अनशनकारियों को पुलिस ने 31 मार्च को आन्दोलन स्थल से जबरन उठाकर हल्द्वानी बेस अस्पताल में भरती कराया था.