भाकपा (माले) और अखिल भारतीय किसान महासभा उत्तराखण्ड शासन द्वारा दिनांक 19 दिसम्बर 2014 को जारी अन्तरिम अधिसूचना का पुरजोर विरोध करती है जिसमें जिला नैनीताल में बिन्दुखत्ता को नगर पालिका गठित किये जाने की सूचना है। हमारा मत है तथा यही यथार्थ भी है कि बिन्दुखत्ता पूर्णतः ग्रामीण क्षेत्र है जिसकी 95 प्रतिशत आबादी की आजिविका का साधन कृषि, पशुपालन और उससे जुड़े सहयोगी व्यवसाय हैं। इसलिए, बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाकर यहां ग्राम पंचायत का गठन ही बिन्दुखत्ता के विकास का सही मार्ग है। नगर पालिका बनने से न सिर्फ इन ग्रामीणों की परम्परागत आजीविका (कृषि और पशुपालन ) पर प्रतिकूल असर पड़ेगा बल्कि इनके इस आजीविका के साधन को हमेशा के लिए खोने का खतरा भी मौजूद है।
बिन्दुखत्ता पूर्णतः वन भूमि में बसा है और इस भूमि को वन विभाग से राजस्व विभाग में हस्तांतरित कर यहां के निवासियों को भूमि का मलिकाना हक देने की मांग लम्बे समय से क्षेत्र की जनता करती रही है और सभी राजनीतिक पार्टियों तथा राज्य की सत्ता पर आसीन सभी सरकारों ने जनता की इस मांग को पूरा करने का वायदा भी किया था। मगर वर्तमान सरकार द्वारा बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाने के बजाय नगर पालिका बनाने के निर्णय ने जमीन अपने नाम कराने की जनता की आकांक्षाओं की हत्या की है।
मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक व श्रम मंत्री दुर्गापाल को इस बात का जवाब जनता को देना होगा कि जो वन भूमि सरकार ने बिड़ला, इन्डियन आयल, स्लीपर फैक्ट्री, आई टी बी पी और दवाई फार्म को हस्तांतरित की है वह बिन्दुखत्ता के गरीबों के नाम हस्तांतरित क्यों नहीं हो सकती है. इस सम्बंध में जारी अंतरिम अधिसूचना दिनांक 19 दिसम्बर 2014 का सार्वजनिक प्रकाशन भी नहीं किया गया जिससे जनता को सही समय पर इसकी सूचना नहीं मिली और आम जनता को इस पर आपत्ति दर्ज करने के लिए पूरा वक्त भी नहीं दिया गया। जिससे यह साबित होता है कि बिन्दुखत्ता को नगरपालिका बनाने के पीछे कुछ निहित राजनीतिक व आर्थिक स्वार्थ छिपे हैं।
भाकपा (माले) और अखिल भारतीय किसान महासभा अपनी वर्षों पुरानी बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाने की मांग को दोहराते हुए, नगर पालिका के गठन के प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मांग करती है ताकि यहां के निवासियों को अपनी जमीन का मालिकाना हक मिल सके और पंचायत राज कानून के अधीन तमाम संवैधानिक हक मिल सके।